नई दिल्ली: इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट ज्योर्तिमय डे (जेडे) मर्डर केस में मकोका कोर्ट ने माफिया सरगना छोटा राजन समेत 7 आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. वहीं कोर्ट ने मामले की दूसरे आरोपी जिग्ना वोरा और जोसेफ पॉल्सन को बरी कर दिया है.

करीब सात साल पुराने इस केस में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) कोर्ट ने इन सभी पर 26-26 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. वहीं मकोको कोर्ट ने इस जुर्माने से मिली रकम में से 5 लाख रुपये जेडे की बहन को मुआवजे के रूप में देने का निर्देश दिया है.

इस मामले की शुरुआती जांच मुंबई पुलिस ने की थी, फिर इसे सीबीआई को सौंप दिया गया. मामले की छानबीन के बाद सीबीआई ने मकोका कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी. मकोका स्पेशल कोर्ट के जज समीर एस अडकर ने इस केस पर आज फैसला सुनाया.

छोटा राजन तिहाड़ जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई देख रहा है. बताया जा रहा है कि फैसला सुनाने के बाद जज ने राजन की प्रतिक्रिया जाननी चाही, जिसपर उसने 'ठीक है' कहा. वहीं, बरी होने की खबर सुनते ही जिग्ना वोरा भावुक हो गए.

साल 2015 में इंडोनेशिया के बाली में गिरफ्तारी के बाद जेडे मर्डर केस पहला ऐसा मामला है, जिसमें छोटा राजन के खिलाफ मुकदमा चला. मुकदमे की सुनवाई के दौरान छोटा राजन को दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया था. वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये अदालत में उसकी हाजिरी होती थी. स्पेशल कोर्ट में 3 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई पूरी हो गई थी. इसके बाद जज समीर अडकर ने 2 मई को फैसले की तारीख मुकर्रर की थी.

इससे पहले जे डे की बहन लीना ने अपने भाई की हत्‍या में शामिल सभी दोषियों के खिलाफ फांसी की सजा देने की मांग की थी. लीना ने कहा था कि उनके भाई की आत्मा को तभी शांति मिलेगी जब उनके हत्यारों को फांसी की सजा मिलेगी.

ज्योर्तिमय डे मुंबई में एक अंग्रेजी अखबार के लिए इंवेस्टिगेटिव और क्राइम रिपोर्टिंग करते थे. 11 जून 2011 की दोपहर मुंबई के पवई इलाके में अंडरवर्ल्ड के शूटरों ने उनकी हत्या कर दी थी. जेडे के सीने पर 5 गोलियां मारी गई थी. घटना के वक्त जे डे बाइक से कहीं जा रहे थे. उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था. मुंबई पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की और दो शूटरों को गिरफ्तार कर लिया.

मामले में छोटा राजन का नाम भी सामने आया था. अभियोजन पक्ष के मुताबिक, छोटा राजन को यह लगता था कि जेडे उसके खिलाफ लिखते थे, जबकि मोस्ट वॉन्टेड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का महिमामंडन करते थे. राजन को ये भी शक था कि उसे मरवाने के लिए जेडे डी कंपनी की मदद कर रहे हैं, क्योंकि जेडे को लंदन और फिलीपिंस में मिलने के लिए बुलाया गया था. सिर्फ इसी वजह से छोटा राजन ने जेडे की हत्या करवाई थी.

जानकारी के मुताबिक, जेडे मुंबई अंडरवर्ल्ड पर किताबें भी लिख रहे थे. 'जीरो डायल' उनकी ही किताब है. छोटा राजन पर भी जेडे एक किताब लिख रहे थे. छोटा राजन पर रिसर्च के लिए वे कई लोगों से मिले, जिनमे छोटा राजन के दुश्मन डी कंपनी के लोग भी शामिल थे.