नई दिल्ली: सीनियर वकील इंदु मल्होत्रा के सीधे सुप्रीम कोर्ट में जज बनने के फैसले के बाद न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच टकराव एक बार फिर सामने आ गया है. दरअसल, शीर्ष अदालत कॉलेजियम की ओर से भेजे गए जजों के नामों को दरकिनार कर इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति के केंद्र सरकार के एकतरफा फैसले से नाराज़ है.

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जनवरी में ऐसे जजों के नामों की सिफारिश की थी, जिन्हें अपग्रेड किया जाना था. इसमें जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस केएम जोसेफ का नाम भी शामिल था. लेकिन, केंद्र सरकार ने बुधवार को सिर्फ इंदु मल्होत्रा के नाम पर मुहर लगाई. इसके बाद जस्टिस केएम जोसेफ समेत कई जजों का नाम पेंडिग लिस्ट में डाल दिया गया है. जस्टिस जोसेफ अभी उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं.

सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने कॉलेजियम की ओर से भेजी गई लिस्ट से नामों को अलग करने के फैसले में सीजेआई दीपक मिश्रा को लूप में नहीं रखा. केंद्र ने न तो इंदु मल्होत्रा का नाम फाइनल करने से पहले सीजेआई से चर्चा की और न ही उनसे कोई सलाह ली. सरकार के इस एकतरफा फैसले से सुप्रीम कोर्ट के कई जज नाराज हैं. खासकर कि वो जज जो कॉलेजियम का हिस्सा भी रहे हैं.

सूत्रों ने बताया कि इस मसले पर विस्तार से चर्चा करने के लिए जजों ने गुरुवार को एक अहम मीटिंग बुलाई है, जिसमें सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार है. शीर्ष अदालत के कई जजों का मानना है कि सरकार ने संविधान के खिलाफ काम किया है और ऐसा करके उसने न्यायपालिका की स्वतंत्रता के खिलाफ जाने की कोशिश की है.

साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार में भी ऐसा ही हुआ था. तब एनडीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए भेजे गए पैनल के 4 नामों को दरकिनार करते हुए पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम के नाम पर मुहर लगाई थी. जिसके बाद तत्कालीन सीजेआई आरएम लोढ़ा ने तत्कालीन कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद को लिखे गए लेटर में अपनी नाराजगी और अस्वीकृति जाहिर की थी. जस्टिस लोढ़ा ने सरकार से कहा था कि वह भविष्य में ऐसे एकतरफा फैसले नहीं लेगी.

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को लिखे लेटर में जस्टिस लोढ़ा ने कहा था, "मेरी जानकारी और सहमति के बिना मैं नामों को अलग करने की मंजूरी नहीं दे सकता. कार्यपालिका को इस तरह के फैसले नहीं लेने चाहिए."

जस्टिस लोढ़ा ने केंद्र के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा था, "आपने अन्य तीन नामों को दरकिनार कर किस आधार पर गोपाल सुब्रमण्यम के नाम पर मुहर लगाई. बाकी तीन नामों को क्यों लौटा दिया?" हालांकि, विवाद बढ़ने पर गोपाल सुब्रमण्यम ने ऐन वक्त पर अपना नाम वापस ले लिया था.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कुरियन जोसेफ ने पिछले दिनों सीजेआई दीपक मिश्रा को चिट्ठी लिखी थी जिसमें उन्होंने कॉलेजियम के सुझावों पर कोई कदम नहीं उठाने की सरकार की मंशा पर सवाल उठाए थे. 9 अप्रैल को लिखे पत्र में जस्टिस जोसेफ ने सीजेआई को लिखा था कि जजों की नियुक्ति नहीं कर पाने की वजह से सुप्रीम कोर्ट का गौरव और सम्मान दिन पर दिन घटता जा रहा है.