सुल्तानपुर । नेहरू गांधी के खानदान के चिराग सुलतानपुर सांसद वरूण
गांधी देश के इकलौते सांसद हैं जिन्होंने सांसद के रूप में मिलने वाला
अपना वेतन देशहित में दान कर दिया है । वे देश के इकलौते सांसद हैं
जिन्होंने अपने खुद के पैसे से दर्जनों बेघर गरीबों को घर बनवाकर दिया।
वे एकलौते सांसद हैं जिन्होंने जिले में बाल चिकित्सालय बनवाने के लिए 5
करोड़ रुपए से ज्यादा दिया है । वे एकलौते सांसद हैं जिन्होंने एक हजार
अधिवक्ताओं के बैठने के लिये और सारी सुविधाओं से लैस सभाकक्ष बनवाने के
लिए सांसद निधि से वजट जारी किया है । वे अकेले ऐसे सांसद हैं जिन्होंने
जिला अस्पताल में आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित न्यू इमरजेंसी बनवाया है।
जिसके लिए उन्होंने एक करोड़ से अधिक रुपये सांसद निधि से खर्च किये हैं।
अपने संसदीय क्षेत्र में सड़क, इंटरलॉकिंग, और सोलर लाइट भी जरूरतमन्दों
को उपलब्ध कराया है । पीने के पानी की समस्या दूर करने के लिए इंडिया
मार्का हैंडपंपों को भी क्षेत्र में लगवाया है।

आप सोच रहे होंगे कि वह कौन है ? तो हम आपको बता देते हैं, वह
हैं जिले के सांसद वरुण गांधी। जिन्होंने अपने सांसद निधि से और अपने खुद
के पैसे से अपने संसदीय क्षेत्र में एक केंद्रीय मंत्री से अधिक विकास
कार्य कराए हैं। कहा जाता है कि शायद यही कारण है कि प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी अपने ही सांसद की उपलब्धियों से डरते हैं? अपने व्यक्तिगत
प्रयास एवं सांसद निधि से ही कई केंद्रीय मंत्रियों से ज्यादा विकास करना
पार्टी को रास नहीं आ रहा है। जिले में यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि
केंद्र सरकार ने 2022 तक सभी गरीबों के सिर पर छत देने का सपना दिखाया
था, लेकिन उस सपने को हकीकत में बदलने का सबसे पहले काम सुल्तानपुर के
सांसद वरुण गांधी ने किया। अपनी सांसद निधि और व्यक्तिगत प्रयास से तमाम
गरीबों के लिए घर बनवाकर उन्हें चाभी भी सौंप चुके हैं। इतना ही नहीं
सांसद वरुण गांधी ने विदेशों में नौकरी करने गये बंधक बनाए गए दर्जन भर
लोगों को विदेश मंत्रालय के सहयोग से स्वदेश वापसी कराई और विदेशों में
जिन व्यक्तियों की मौत हो गई थी, उनके शवों को उनके घर पहुँचवाया। अपने
व्यक्तिगत प्रयास से प्रदेश भर के चार हजार से ज्यादा किसानों को 22 करोड़
रुपए देकर उन्हें कर्ज से मुक्ति दिलाई है। वरुण किसानों की स्थिति
सुधारने को लेकर लगातार सक्रिय हैं। वरुण गाँधी कई मौकों पर अपनी ही
सरकार की वादा खिलाफी पर खरा बोलकर उनकी आंखों में चुभते रहे हैं।
सुलतानपुर सांसद रहते हुए लोकसभा में सांसदों की वेतनबृद्धि पर मुखालफत
करने के कारण देश में चर्चित हुए । सांसद वरुण गांधी यहां के लोगों से
पारिवारिक सम्बन्ध रखने में ज्यादा सकून महसूस करते हैं। वे कहते हैं कि
सुल्तानपुर हमारी कर्मभूमि है। वे सियासत से ज्यादा सामाजिक कार्यों में
ध्यान केंद्रित करते हैं। प्रधानमंत्री होने के बावजूद नरेंद्र मोदी अपने
संसदीय क्षेत्र में ही ऐसा कुछ नहीं करा पाए जो याद रखा जाए। नितिन गड़करी
के अध्यक्षी कार्यकाल में भाजपा में मंत्री रहे वरुण गांधी को उनका काम
देखकर तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय महामंत्री बनाया
था, लेकिन शाह युग के प्रादुर्भाव से वे किनारे कर दिए गए। माना जाता है
कि भाजपा में वरुण गांधी की उपेक्षा का सबसे बड़ा कारण उनकी राजनीतिक
पृष्ठभूमि और उनका कद है। राजनाथ सिंह के दौर में वरुण गांधी के पास आसाम
और बंगाल का प्रभार था और वे पार्टी के फायरब्रांड स्टार प्रचारक रहे।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि असम में उनकी ही बनाई जमीन थी, जिस पर
नरेंद्र मोदी और अमित शाह असम में सरकार बनाने में सफल हो सके। श्री
गाँधी यह बात कई बार कह चुके हैं कि यह दौर आश्वासन और वादा का नहीं
बल्कि धरातल पर काम करने का है। उनका मानना है कि इंसान की सच्ची कमाई
गरीब व किसानों के साथ निराश्रितों की दुआएं हैं। वह लोगों के बीच यही
कमाने आए हैं। वह झूठ बोलकर लोगों को दुख पहुंचाने की बजाय खरा बोलकर और
सही बोलकर दुआएं पाना ज्यादा पसंद करेंगे। सांसद वरुण गांधी अपनी ही
सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहते हैं कि वर्ष 2001 से अब तक केंद्र
की सरकारों ने चुनिंदा 30 उद्योगपति समूहों का लगभग तीन लाख करोड़ रुपए
माफ कर चुकी हैं। उन्होंने व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब देश
के एक फीसदी लोगों का देश के आधा संसाधनों पर नियंत्रण है तो क्या यह
न्याय है? जिस देश में एक तिहाई आबादी गरीबी रेखा से नीचे और 90 लाख
बच्चे पेट पालने के लिए मजदूरी करते हों, वहां खोखले वादा करना पाप है।
सांसद श्री गाँधी कहते हैं कि वे राजनीति में धन कमाने नही आये हैं और न
वीआईपी बनने आये हैं। वे कहते हैं कि जब गरीब व्यक्ति को उसका हक मिलेगा
तब देश महान बनेगा। वह गरीबों को दुनिया के अमीरों से जोड़कर उनकी मदद
करना चाहते हैं। वरुण गरीबों के लिए अपने प्रयास से पांच हजार घर बनाने
का लक्ष्य लेकर सक्रिय हैं। लाख टके का सवाल यह है कि आखिर वरुण गांधी
भाजपा शीर्ष नेतृत्व की आंखों की किरकिरी क्यों और कैसे बन गए ?