हाल के एक अध्ययन के अनुसार, जहां कार क्रैश में 114 में से 1 व्यक्ति के मरने की संभावना होती है, वहीं हवाई दुर्घटना में 9,821 में से महज 1 व्यक्ति के मरने की संभावना होती है। हालांकि यह हो सकता है कि ये आंकड़े अमेरिकी उड्डयन बाजार के हों, लेकिन यह स्पष्ट रूप से लंबे समय से ज्ञात वैश्विक तथ्य को उजागर करता है। हवाई यात्रा से जुड़ा जोखिम निश्चित रूप से सड़क यात्रा, रेल यात्रा या जल यात्रा की तुलना में काफी अधिक है, लेकिन यह बार-बार सबसे सुरक्षित साबित हुआ है।

हवाई यात्रा के उत्कृष्ट सुरक्षा रिकाॅर्ड का एक प्रमुख कारण उन्नत तकनीक को अपनाया जाना हो सकता है। यात्रा के अन्य किसी भी रूप – सड़क, रेल या जल यात्रा में इतने बड़े परिमाण पर नवीनतम तकनीकी सहायता उपकरणों का एकीकरण नहीं है। उदाहरण के लिए, उड्डयन उद्योग का परिचालन, निर्माण एवं हवाई यातायात प्रबंधन, डिजिटलीकृत लाॅजिस्टिक्स नेटवर्क से काफी अधिक प्रभावित होता है।

भारी संख्या में लोगों को यह लगता है कि उड्डयन क्षेत्र में तकनीक की मौजूदगी बोर्डिंग गेट से ही शुरू हो जाती है या और भी पहले फ्लाइट की बुकिंग के साथ ही शुरू हो जाती है। लेकिन उड्डयन क्षेत्र में तकनीक का समावेश एयरक्राफ्ट की आरंभिक डिजाइन की तैयारी के साथ ही हो जाता है।

यह इन उत्कृष्ट तकनीकों की ही देन है कि सभी शेयरधारक अपनी क्षमता से काफी आगे बढ़कर प्रदर्शन कर पाते हैं। उदाहरण के लिए, मुंबई एयरपोर्ट एक दिन में 900 से अधिक फ्लाइट्स को हैंडल करता है (जनवरी के मध्य में सर्वाधिक संख्या 980 फ्लाइट्स थी), और इसे दुनिया के सबसे व्यस्त सिंगर-रनवे फैसिलिटी के रूप में जाना जाता है, जो देश के समूचे एयर ट्रैफिक का लगभग 25 प्रतिशत से अधिक संभालता है। इस हवाई अड्डे की वार्षिक क्षमता 40 मिलियन यात्री है, लेकिन यह प्रभावी तरीके से इससे भी अधिक लोड को हैंडल करता है।

उदाहरण के लिए, हाल ही में जेट एयरवेज से उड़ान भरने पर, यात्रियों को आश्चर्य हुआ होगा कि उनका बोर्डिंग कार्ड स्टब कहीं से भी फटा नहीं है। संभवतः इसका कारण यह हो सकता है कि रिकाॅर्ड कीपिंग अब डिजिटल फाॅर्मट में होता है, जिससे एयरलाइन द्वारा बोर्डिंग कार्ड स्टब को फाड़ने की जरूरत नहीं रही। इसलिए, यात्री पूरे कार्ड को अपने साथ रख सकते हैं, जिससे यात्रीगण इसे अपने ट्रैवल स्क्रैपबुक्स, डायरीज में रख सकते हैं या बुकमार्क के रूप में इसका उपयोग कर सकते हैं।

हमने कई ऐसे मामले देखे हैं जिसमें खराब मौसमी स्थितियों के बावजूद जहाजों ने सुरक्षित लैंडिंग या टेक आॅफ किया; कभी-कभी तो दृश्यता लगभग शून्य के करीब रही। इसमें जरा भी संदेह नहीं है कि मौसम हमेशा ही सबसे बड़ा कारक रहा है और कभी-कभी इसका अनुमान लगाना भी मुश्किल होता है, लेकिन तकनीक ने खराब-से-खराब मौसमी स्थितियों के लिए भी समाधान ढूंढ लिया है। दरअसल, मौसम का अब काफी सटीकता के साथ अनुमान लगाया जा सकता है, जिससे सभी हितभागियों को उच्चतम स्तर की हवाई सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्वयं को तैयार करने और निवारक उपाय करने हेतु पर्याप्त समय मिल जाता है।

आज दुनिया कृत्रिम इंटेलिजेंस की बात कर रही है, जिससे हमारे अनेक दैनिक परिचालन कार्य मार्गदर्शित हो रहे हैं। उदाहरण के लिए, तकनीकी खोजों ने सड़कों पर बिना ड्राइवर के वाहन चलाना संभव कर दिखाया है, इसलिए निकट भविष्य में बिना पाइलट के प्लेन्स भी संभव हो सकते हैं।

बीते हुए समय के विपरीत, अकल्पनीय कार्यों के लिए तकनीक के उपयोग की संभावना से आज इनकार नहीं किया जा सकता है। यात्रियों को अधिक सुरक्षा प्रदान करना एक मामूली बात है। यदि तकनीक और इसका उपयोग वर्तमान परिवर्तनकारी मार्ग पर यूं ही बढ़ता रहे, तो उड्डयन उद्योग का भविष्य सभी हितभागियों और विशेष तौर पर यात्रियों के लिए बिल्कुल अलग होगा।