उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (यूपीकोका) बिल पास हो गया. इस पर विपक्ष ने अपना पुरजोर विरोध दर्ज कराया है. विपक्ष ने मंगलवार को कहा कि उत्तर प्रदेश के लिए आज काला दिवस है. आज सरकार ने यूपीकोका को पास कराया है. यह आम जनता के लिए किसानों, गरीबों के लिए पत्रकारों के लिए हानिकारक है. सरकार पूरी तरह फेल हो चुकी है, निराश हो चुकी है. जनता से जो वादा किया था कि वह केंद्र की सरकार और प्रदेश की सरकार एक भी पूरा नहीं कर पाई.
सरकार विरोध को झेल नहीं पा रही है इसलिए काले कानून ला रही है. इसके माध्यम से राजनीतिक विरोधियों को और जो सरकार के खिलाफ पत्रकार लिखते हैं, उन पर भी लगाम कसने की अपनी गिरफ्त में लेने के लिए यह दुस्साहस कर रही है. नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी और कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू ने कहा कि सरकार ने काला कानून लाकर अंग्रेजी हुकूमत याद दिलाने का काम किया है.
यह काला कानून है संविधान विरोधी है. लोकतंत्र विरोधी है. इस में पत्रकारों तक को आजादी नहीं है. इसके अंतर्गत जो भी सरकार के खिलाफ होगा उसे अपनी बात कहने का कोई अधिकार नहीं होगा. उन्होंने कहा कि आज तक ऐसा कोई कानून था, जिसमें पीड़ित को अपना आवाज रखने का मौका मिलता था. लेकिन इसमें पीड़ित की आवाज दबा दिया जाएगा. अजय कुमार लल्लू ने कहा कि कांग्रेस इस बिल का पुरजोर विरोध करेगी और हमने इसी के विरोध में वॉक आउट भी कर दिया.
वहीं बसपा विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा ने कहा कि सरकार ये बिल अपराधियों के नियंत्रण के लिए नहीं लाई है. अपने राजनीतिक विरोधियों के लिए काला कानून लाए हैं. निश्चित रूप से यह एक लोकतंत्र की हत्या के समान विधेयक है. लोकतंत्र को खत्म करने वाला विधेयक है. हमारा यह मानना है कि अगर सरकार इस तरीके का अपराध नियंत्रण करना चाहती है तो महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार में ऐसा ही एक विधेयक और कानून बना हुआ है.
लेकिन उससे कितना अपराध नियंत्रण हो रहा है. यह भी देखने वाली बात है. यहां अपने पक्ष का कोई अपराध करता है तो उसे वाई श्रेणी की सुरक्षा दी जाती है और दूसरे पक्ष से अपराध होता है तो उसे प्रताड़ित करने का काम किया जाता है. इस विधेयक का हम भारी और पुरजोर विरोध करते हैं.
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