लखनऊ: उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार बलात्कार पीड़िताओं का डाक्टरी परीक्षण करते समय बलात्कार पीडिता का बलात्कार हुआ कि नही इस बात की पुष्टि के लिए टू फिंगर टेस्ट नही किया जायेगा. लेकिन बहुत अफसोस की बात है की तमाम वैज्ञानिक तकनीक होने बावजूद आज भी बलात्कार
पीड़िताओं का टू फिंगर टेस्ट उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हो रहा है.

ह्यूमन राईट मानिटरिंग कमेटी की टीम ने टू फिंगर टेस्ट हो रहा है या नही इस बात का पता करने के लिए जनपद लखनऊ के 10 नाबालिग बलात्कार पीड़िताओं से उनकी मेडिकल जांच की प्रक्रियाओं के बारे मे पूछा तो बलात्कार पीड़िताओं ने जो बताया वो काफी चिंताजनक स्थिति को बयां करता है।

बलात्कार पीड़िताओं से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि उनका बलात्कार हुआ कि नही ये जांचने के लिए डाक्टर ने टू फिंगर टेस्ट किया था. बलात्कार पीड़िता की मेडिकल जांच दो उगली से करने के कारण बलात्कार पीड़िता ने बताया की जांच के दौरान उन्हें तकलीफ हुआ और उन्होंने विरोध किया लेकिन बलात्कार की जांच करने वाली डा. ने पीड़िताओं का हाथ दूसरे से पकड़वा दिया फिर जबरजस्ती दो उगली टेस्ट किया।

बलात्कार पीड़िता की मेडिकल जांच करने से पहले डाक्टर पीड़िता की सहमति नहीं लेते और जांच के दौरान पीड़िता के पास उसके परिवार या करीबियों को पीडिता के पास नहीं रहने देते!