लखनऊ। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने योगी सरकार का एक साल पूरा होने की पूर्व संध्या पर कहा है कि सरकार का गुजरा साल कैसा रहा, इस पर फूलपर और गोरखपुर लोकसभा चुनाव परिणामों के माध्यम से जनता ने अपनी टिप्पणी कर दी है।

पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने रविवार को जारी बयान में कहा कि योगी सरकार का गुजरा साल प्रदेशवासियों विशेष रुप से दलितों, अल्पसंख्यकों, गरीबों और महिलाओं पर भारी पड़ा। इस दौरान समाज में सामंती दबंगों का मनोबल बढ़ा और सत्ता की शह व संरक्षण से उन्होंने दलितों पर कहर बरपाया। सहारनपुर की शब्बीरपुर की घटना इसका एक उदाहरण है और जिस तरह से पूर्वांचल, बुंदेलखंड व तराई समेत पूरे प्रदेश में दलित व महिला उत्पीड़न की घटनाएं हुई हैं, उससे यह बात पुष्ट होती है कि मुख्यमंत्री योगी का प्रशासन कमजोर वर्ग की सुरक्षा करना तो दूर, वह दबंगों के पक्ष में झुका हुआ है।

माले नेता ने कहा कि मीटबंदी के बाद कासगंज में अल्पसंख्यकों पर पूर्व नियोजित संगठित हमला किया गया, जिसमें प्रशासन का व्यवहार पूरी तरह से एकपक्षीय दिखाई पड़ा। योगी आदित्यनाथ भले ही प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिये गये हैं, लेकिन उनकी सरकार की कर्रवाइयों और फैसलों में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया है। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण बढ़ाने वाले मुद्यों को हवा दी जाती है।

राज्य सचिव ने कहा कि किसान कर्जमाफी छलावा साबित हुई। कर्ज से परेशान किसानों द्वारा आत्महत्या की घटनाएं जारी हैं। कानून व्यवस्था समेत लोकतंत्र और मानवाधिकारों का बुरा हाल है। माफिया मजबूत हुआ, फर्जी मुठभेड़ों में निर्दोष मारे जा रहे हैं वहीं लखीमपुर खीरी में पुलिस हिरासत में दलित हत्या की घटना हुई। सरकारी भूमि से कब्जा हटाने के नाम पर भूमिहीन और गरीब परिवारों को मिर्जापुर, चंदौली समेत तमाम जिलों में उजाड़ कर खुले आसमान के नीचे ला दिया गया, वहीं भूमाफियाओं और अवैध कब्जा जमाये दबंगों का बाल भी बांका नहीं हुआ। प्रदेश ने ऐसा पहला मुख्यमंत्री देखा, जिसने अतीत में अपने ऊपर लगे तमाम आपराधिक मुकदमों में खुद ही जज की भूमिका हथिया ली।