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किताबें ऐसी दोस्त हैं जो कभी अकेलापन नहीं महसूस होने देती : श्री नाईक

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित ‘पुरस्कार एवं सम्मान समारोह-2018’ में अवकाश प्राप्त एवं कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों की रचनाओं के लिए उन्हें शाॅल, नकद पुरस्कार व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान के अध्यक्ष श्री हरिओम ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की तथा विशिष्ट अतिथि के तौर पर पार्थसारथी सेन शर्मा आयुक्त ग्राम्य विकास सहित श्री आर0के0 मित्तल, महामंत्री श्री डी0सी0 अवस्थी, संस्थान के अन्य पदाधिकारी व साहित्य प्रेमी उपस्थित थे। राज्यपाल ने समारोह में श्री दया शंकर अवस्थी की पुस्तक ‘कृष्ण अर्जुन संवाद’, डाॅ0 कैलाश निगम की पुस्तक ‘लक्ष्य की ओर’ तथा डाॅ0 अब्दुल रहीम की पुस्तक ‘सूफी संतों का कृष्ण काव्य’ का लोकार्पण भी किया।

राज्यपाल ने कहा कि लगातार एक प्रकार के काम करते रहने के बाद परिवर्तन की आवश्यकता होती है। ऐसे में साहित्य निर्माण से स्वयं के साथ दूसरों को भी आनन्द मिलता है। पुस्तक लिखने से लेखक, पाठक के साथ-साथ प्रकाशक को भी आनन्द मिलता है। किताब खरीदकर पढ़े तो लेखक और प्रकाशक दोनों को ज्यादा खुशी होगी। उन्होंने कहा कि अन्य राज्य भी उत्तर प्रदेश जैसे राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान की स्थापना करने की प्रेरणा प्राप्त करें।

श्री नाईक ने कहा कि साहित्य जितना सहजता से लिखा जाता है, पाठक को उतना ही रूचिकर लगता है। साहित्य का सृजन साहित्यकार अपने दृष्टिकोण से करता है पर समाधान पढ़ने वाले को मिलता है। किताबें ऐसी दोस्त हैं जो कभी अकेलापन नहीं महसूस होने देती हैं। चिंता का विषय है कि लोगों में पढ़ने की आदत कम होती जा रही है। उन्होंने कहा कि साहित्य लेखन ऐसी परीक्षा है जिसमें पाठक और प्रकाशक दोनों के लाभ का ध्यान रखना होता है।

राज्यपाल ने चुटकी लेते हुए कहा कि कर्मचारी साहित्य संस्थान उत्तर प्रदेश ने मेरी पुस्तक पर विचार नहीं किया जबकि संस्थान द्वारा अवकाश प्राप्त व कार्यरत कर्मचारियों के साथ-साथ कुछ बाहरी लोगों को भी सम्मानित किया गया है। मैंने भी अपने संस्मरण ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ शीर्षक से मराठी भाषा में लिखे हैं जिसका हिन्दी सहित कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। महाराष्ट्र सरकार ने पिछले माह सर्वोत्तम आत्मचरित्र के लिए पुस्तक को लक्ष्मीबाई तिलक पुरस्कार से सम्मानित किया है। उन्होंने सभी पुरस्कार प्राप्त सम्मानमूर्तियों को बधाई दी।

श्री पार्थसारथी सेन शर्मा आयुक्त ग्राम्य विकास ने कहा कि सरकारी सेवा में साहित्य का सृजन करना चुनौती का कार्य है। उन्होंने सुझाव दिया कि संस्थान वरिष्ठ साहित्यकार यशपाल के नाम से भी सम्मान दे तथा सचिवालय के पुस्तकालय में राज्य कर्मचारियों द्वारा लिखित पुस्तकों का अलग से सेक्शन होना चाहिए।
डाॅ0 हरिओम ने कहा कि साहित्य रौशनी देने वाली मशाल है। सच का साहस कहने वाला साहित्य ही मुक्कमल साहित्य होता है। उन्होंने कहा कि साहित्य सामाजिक मूल्यों और प्रेम भाव जगाने वाला होता है तो निश्चित रूप से लोकप्रिय होता है।

इस अवसर पर पूर्व पुलिस महानिदेशक महेश चन्द्र द्विवेदी, सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी जयशंकर मिश्र, पी0वी0 जगमोहन, अवकाश प्राप्त उप निदेशक सूचना शहनवाज कुरैशी, बलदेव त्रिपाठी, मोहम्मद मूसा खाँ अशांत, अनुराग मिश्र, सुश्री गीता कैथल, प्रो0 निरंजन कुमार सहाय, सुश्री प्रीति चौधरी, मोईन अंजुम, डाॅ0 शोभा दीक्षित सहित अन्य लोगों को भी सम्मानित किया गया।

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