लखनऊ:“कासगंज में भाजपा द्वारा प्रायोजित दंगा निंदनीय” यह बात आज एस.आर.दारापुरी पूर्व पुलिस मह्निरिक्षक एवं संयोजक जनमंच उत्तर प्रदेश ने प्रेस को जारी बयान में कही है. उन्होंने कहा है कि कासगंज में दंगा पूरी तरह से पूर्व नियोजित था जो कि उस दिन के घटनाक्रम से स्पष्ट है. उस दिन 26 जनवरी के उपलक्ष्य में कासगंज कोतवाली क्षेत्र के मुसलामानों ने अब्दुल माजीद चौराहे पर जलसे का आयोजन किया था. उसी समय हिन्दू युवा वाहिनी, एबीवीपी तथा आरएसएस के करीब 100 लड़के मोटर साईकलों पर हाथ में तिरंगा तथा भगवा झंडा लेकर नारे लगाते हुए पहुंचे और आयोजकों से तिरंगे की जगह भगवा झंडा फहराने के लिए कहने लगे. इस पर वहां के मुसलामानों ने उनसे दूसरे मार्ग से जाने का अनुरोध किया परन्तु उन्होंने कहा कि हम तो इसी रास्ते से जायेंगे और उन्होंने वहां पर बनाई गयी रंगोली को मोटर साईकल चढ़ा कर नष्ट कर दिया. इस पर दोनों गुटों में कहांसुनी और धक्कामुक्की हो गयी. इस पर तिरंगा यात्रा वाले “हिन्दोस्तान में रहना है, तो जय श्री राम कहना होगा” तथा “मुल्लो के लिए एक ही स्थान, पकिस्तान या कब्रिस्तान” जैसे आपत्तिजनक नारे लगाने लगे. अधिक बात बढ़ने पर दोनों तरफ से पथराव होने लगा तथा फायरिंग भी होने लगी जिसमे एक पक्ष का एक लड़का मर गया तथा दुसरे पक्ष के दो लोगों को गोली लगी. गोली लगने वाले एक व्यक्ति का ब्यान है कि उसे जो गोली लगी है वह पुलिस के एक दरोगा द्वारा चलाई गयी थी. इसके बाद एक तरफ के दंगाईयों ने एक बस, एक ट्रेक्टर तथा एक खोखे को जला दिया. यह उल्लेखनीय है कि तथाकथित तिरंगा यात्रा बिना किसी अनुमति के निकाली गयी थी. इस घटना के बाद पूरे कसबे में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया.

अगले दिन दंगे में मृतक के दाह संस्कार के बाद भाजपा के सांसद ने यह भड़काऊ ब्यान दिया कि “हमारा एक लड़का जो मरा है उसे किसी भी तरह से माफ़ नहीं किया जा सकता.” उसके इस ब्यान के बाद पुलिस बल की भारी मौजूदगी के बाद फिर दंगा भड़क गया और पुलिस की मौजूदगी में मुसलामानों का एक घर तथा आधा दर्जन दुकाने जला दी गयीं. ज्ञात हुआ है कि आज तीसरे दिन भी पुलिस की भारी मौजूदगी के बावजूद भी मुसलामानों की कई गाड़ियाँ तथा दुकाने जला दी गयी हैं. यह विचारणीय है कि पुलिस की भारी मौजूदगी के बावजूद भी यह आगजनी कैसे हो गयी. इसमें पुलिस बल का आचरण भी संदेह के घेरे में है.
इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि कासगंज का दंगा पूरी तरह से प्रायोजित था जो कि भाजपा की दंगे की राजनीतिक हिस्सा है.