सीएसआईआर-सीडीआरआई के वैज्ञानिकों ने नई दवा की प्रौद्योगिकी का दवा कंपनी को किया हस्तांतरण

लखनऊ: ऑस्टियोआर्थराइटिस के इलाज के क्षेत्र में सीएसआईआर-सीडीआरआई के वैज्ञानिकों को एक नई सफलता मिली है, ऑस्टियोआर्थराइटिस जिसे अस्थिसंधिशोथ या संधिवात भी कहते हैं, यह जोड़ों की एक आम बीमारी है जो मुख्यतः वजन सहने वाले जोड़ों जैसे कूल्हों और घुटनों को प्रभावित करती है और शारीरिक विकलांगता का कारण बनती है।

सीएसआईआर-सीडीआरआई के वैज्ञानिकों की टीम ने पालक जिसका वानस्पतिक नाम स्पिनेशिया ऑलेरेसिया है, से एक मानकीकृत नैनो-फॉर्मूलेशन विकसित किया है जो उपास्थि के क्षय (क्षरण) को रोक कर ओस्टियोआर्थराइटिस के दुष्प्रभावों को कम करता है। दवा निर्माण की प्रौद्योगिकी का नो-हाऊ (विवरण) फार्मान्जा हर्बल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया गया और टेक्नॉलॉजी ट्रान्सफर (प्रौद्योगिकी हस्तांतरण) किया गया। यह दवा ओस्टियोआर्थराइटिस के इलाज में बहुत उपयोगी होगी और जल्द ही इसे भारतीय बाजार में लॉन्च किया जाएगा।

वर्तमान में ओस्टियोआर्थराइटिस के लिए कोई व्यवहारिक उपचार उपलब्ध नहीं है। भारत में ~39% लोग ओस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित हैं। इसमें से 65 वर्ष से अधिक की 45% महिलाओं में इसके लक्षण पाये गए हैं तथा 70% में एक्स-रे रिपोर्ट के माध्यम से ओस्टियोआर्थराइटिस होने के प्रमाण मिले हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस से ग्रसित, रजोनिवृत्त (पोस्टमेनोपेजियल) महिलाओं में सामान्य महिलाओं की तुलना में फ्रैक्चर का खतरा 20% अधिक पाया गया है।
सीएसआईआर-सीडीआरआई के निदेशक प्रोफेसर आलोक धावन ने कहा, हम एक नए हर्बल फोर्मूलेशन को सफलतापूर्वक तैयार करने से बेहद खुश हैं। हमारे अनुसंधान के परिणामों के आधार पर हमारी दवा कोई विषाक्तता नहीं दिखाती है और नैनो-फोर्मूलेशन की वज़ह से ये दवा कम मात्रा (लोअर डोज़) में भी प्रभावी है। हमने इसमें चार बायो-मार्करों की पहचान की है जो घुटने के जोड़ पर उपास्थि की मरम्मत की प्रक्रिया को दक्षता प्रदान करते हैं।
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण दस्तावेज का आदान-प्रदान प्रोफेसर आलोक धावन, निदेशक सीएसआईआर-सीडीआरआई और फार्मान्जा हर्बल प्राइवेट लिमिटेड, अहमदाबाद की प्रतिनिधि सुश्री रुची सिंह और सुश्री अबोली गिरमे के बीच किया गया।