ऑल इंडिया तंज़ीम उलामा ए इस्लाम का एक दिवसीय सम्मेलन
नई दिल्ली: सऊदी अरब के मक्का और मदीना के पावन स्थलों के राजनीतिकरण के कारण भारत के हाजियों समेत दुनिया में एक धार्मिक प्रतिबंध का माहौल बन गया है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।यह बात ऑल इंडिया तंज़ीम उलामा ए इस्लाम के एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में निकल कर आई।

नई दिल्ली के ग़ालिब एकेडमी में आयोजित कार्यक्रम में तंज़ीम उलामा ए इस्लाम के संस्थापक अध्यक्ष मौलाना मुफ़्ती अशफ़ाक़ हुसैन क़ादरी ने कहाकि सऊदी अरब का नाम ही धर्म में दख़ल है। जब से अलसऊद ने इस देश पर क़ब्ज़ा किया है, तब से यहाँ हज और धार्मिक रीति रिवाज़ को इस्लामी नज़रिये से ना सिर्फ़ अदा करना मुश्किल हो गया है बल्कि मक्का और मदीना समेत सभी धार्मिक स्थलों का सऊदी अरब की सरकार राजनीतिक प्रयोग कर रही है। मुफ़्ती ने कहाकि अलसऊद का ख़ानदान हज को एक एक कूटनीतिक हथियार समझता है और इसके ज़रिए विश्व में मुस्लिम राजनीति को नियंत्रित करना चाहता है जिसकी हर क़दम पर भर्त्सना की जाएगी। उन्होंने दोहराया कि भारत का मुस्लिम अपनी हज पॉलिसी में किसी भी प्रकार की दख़ल को बर्दाश्त नहीं करेगा और वह अलसऊद के हरमैन के राजनीतिक प्रयोग की निंदा करता है। मुफ़्ती अशफ़ाक़ ने भारत के मुस्लिम युवाओं से आह्वान किया कि वह सऊदी अरब की धार्मिक स्थलों के राजनीतिक प्रयोग की आलोचना करें । उन्होंने सऊदी अरब द्वारा कई देशों के हाजियों पर प्रतिबंध लगाने की भी निंदा की और कहाकि वह इस्लाम के मौलिक फ़र्ज़ में दख़ल नहीं दे सकती। मुफ़्ती ने भारत सरकार से भी अपील की कि वह हाल ही में नामेहरम के बिना हज पर जाने वाली महिलाओं के ऑफ़र के झांसे में ना आएं क्योंकि यह महिला सशक्तिकरण नहीं बल्कि, यह इस्लाम के मूल विश्वास में दख़ल है।

दरबार अहले सुन्नत के संस्थापक अध्यक्ष मौलाना सैयद जावेद नक़्शबंदी ने कहाकि सऊदी अरब की सरकार पवित्र मस्जिद मक्का और मदीना का राजनीतिक इस्तेमाल कर रही है जो किसी भी प्रकार से इस्लामी नहीं कहा जा सकता। उन्होंने इस बात पर अफ़सोस का इज़हार किया कि हाजियों के साथ हज के दौरान दुर्व्यवहार होता है और मुतावा जैसी संस्था का गठन करके हाजियों के साथ अशोभनीय व्यवहार किया जा रहा है। नक़्शबंदी ने कहाकि भारत के हाजियों के साथ बहुत बदतमीज़ी की जाती है। उन्होंने सऊदी अरब की इस बात के लिए भी आलोचना की कि कई देशों के हाजियों पर उसने प्रतिबंध लगा दिया है जो इस्लाम के पांचवे फ़र्ज़ को अदा करने की हरकत है और इसे माफ़ नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहाकि सऊदी अरब की किसी से भी राजनीतिक रंजिश का यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि वह हज का राजनीतिक प्रयोग करे। ऐसा करने के लिए उसके पास कोई नैतिक आधार नहीं है।

राजनीतिक चिंतक और विचारक शाहिद प्रधान ने कहाकि सऊदी अरब की सरकार हज को राजनीतिक हथियार समझ रही है और खुलकर इसका दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहाकि कई देशों में मुस्लिम जनता की भावनाओं से सऊदी अरब की सरकार खेलती भी है और उन्हें भड़काने के लिए भी पवित्र स्थलों के नाम पर राजनीति करती है। उन्होंने दोहराया कि सऊदी अरब की वहाबी नीति को आगे बढ़ाने और अन्य विचार पद्धतियों वाले मुसलमानों के विरुद्ध सऊदी अरब लगातार हज को राजनीतिक हतियार के तौर पर इस्तेमाल करती रही है। उन्होंने कहाकि हज मुस्लिम फ़र्ज़ है इसके लिए हरमैन शरीफ़ैन यानी मक्का और मदीना को सऊदी शासन से बाहर कर इसे मुस्लिम अवाम को सौंपा जाए। प्रधान ने तजवीज़ दी कि ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कंट्रीज़ या इसी प्रकार की निर्विवाद मुस्लिम समाज की कोई वैश्विक संस्था हज और मक्का मदीना की देखरेख करे ताकि सऊदी अरब हज को राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल ना कर पाए।