लखनऊ: सेंटर फॉर एन्वॉयरोंमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) द्वारा वर्ष 2017 में एयर क्वालिटी से संबंधित तैयार की गयी हालिया रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ में सालों भर वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर लगातार कायम रहा है, जिससे लोगों के लिए गंभीर स्वास्थ्य संबंधी संकट आये दिन सामने आ रहा है। सीड ने ‘एंबियंट एयर क्वालिटी’ से संबंधित केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रियल टाइम मॉनिटरिंग डाटा का अध्ययन लखनऊ में वर्ष 2017 में वायु की गुणवत्ता को समझने के लिए किया है। रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ में साल भर में केवल 17 दिन ही हवा की गुणवत्ता ‘अच्छी’ केटेगरी की थी। लखनऊ में 76 प्रतिशत दिन एयर क्वालिटी ‘खराब’ और 19 प्रतिशत दिन ‘संतोषजनक’ रही। जाड़े के नवंबर और दिसंबर महीने में शहर की हवा जहरीले धुंएं से कम नहीं थी और एयर क्वालिटी लगातार 61 दिन ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ की श्रेणी में दर्ज की गयी।

रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ के उन तीन स्थानों में जहां ‘कंटीन्युअस एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन’ स्थापित है, उनमें से लालबाग को सबसे प्रदूषित इलाके के रूप में रेखांकित किया गया है। लालबाग में सालाना मध्यमान पीएम2.5 का संकेंद्रण 130 μg/m3 रहा और इसके बाद तालकटोरा में 129 μg/m3 और सेंट्रल स्कूल में यह 104 μg/m3 रहा। वहीं मैन्युअल मॉनिटरिंग स्टेशन के 11 महीनो (जनवरी-नवंबर) के डाटा के अनुसार सातों स्थानों में हजरतगंज को सबसे प्रदूषित पाया गया। इन बाकी स्थानों में अलीगंज, महानगर, सरायमाली, तालकटोरा, अंसल और गोमतीनगर आते हैं।

लखनऊ में एयर क्वालिटी के वर्तमान ट्रेंड के बारे में बताते हुए सीड के सीईओ रमापति कुमार ने कहा कि ‘शहर में वायु प्रदूषण वाकई एक गंभीर समस्या है, जहां प्रदूषित धूलकण यानी पीएम2.5 का अत्यधिक संकेंद्रण गंभीर संकट है। यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि प्रदूषण कोई मौसमी या अल्पकालिक मामला नहीं है, बल्कि सालों भर यह परिघटना पूरी गंभीरता के साथ विद्यमान रहती है। राज्य सरकार को एक समय आधारित क्रियान्वयन रणनीतियों के साथ एक सकारात्मक क्लीन एयर एक्शन प्लान बना कर अमल में लाना चाहिए, ताकि वायु प्रदूषण की निरंतरता को रोका जा सके। इस एक्शन प्लान में प्रदूषणकारी स्रोतों के अनुसार प्राथमिकतावार कदमों की पहचान, समुचित रेगुलेटरी उपाय और संस्थागत प्रयासों पर बल दिया जाना जरूरी है, जो प्रदूषण निवारण के कामों को सही दिशा में संभव बनायेंगे।’ उन्होंने आगे बताया कि ‘यह भी अत्यावश्यक है कि हरेक प्रदूषण क्षेत्र का एमिशन प्रोफाइल तैयार करने के लिए शहर में एक ‘‘सोर्स अपोर्शमेंट स्टडी’’ (स्रोत संविभाजन अध्ययन) को भी पूरा किया जाये।’

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षों के बारे में खुलासा करते हुए अंकिता ज्योति, सीनियर प्रोग्राम ऑफिसर ने कहा कि ‘हमारे अध्ययन-विश्लेषण में पाया गया है कि गत 13 नवंबर को लखनऊ में एयर क्वालिटी सबसे बदतर थी, हालांकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दैनिक एयर क्वालिटी बुलेटिन के अनुसार 14 नवंबर सर्वाधिक प्रदूषित दिन था। गत 13 नवंबर को पीएम2.5 वैल्यु 446μg/m3 पाया गया, जो राष्ट्रीय सुरक्षा सीमा से सात गुना अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार नवंबर साल 2017 का सर्वाधिक वायु प्रदूषित महीना और जुलाई सबसे कम प्रदूषित माह था।’ उन्होंने आगे बताया कि ‘सीड की रिपोर्ट लखनऊ में कंटीन्युअस एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग को और मजबूत करने की अनिवार्यता पर बल देती है।’

उत्तर प्रदेश सरकार को एक टारगेटेड एक्शन प्लान तैयार करना चाहिए, ताकि सभी स्रोतों से प्रदूषण उत्सर्जन को कम किया जा सके और हवा को स्वच्छ रखने के लिए लगातार कड़े कदम उठाने चाहिए। सीड राज्य सरकार से अपील करता है कि एयर क्वालिटी सुधारने की दिशा में अविलंब क्लीन एयर एक्शन प्लान पर ठोस कदम उठाये जायें।