नई दिल्ली: भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ विद्रोह का संकेत दे दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इन जजों ने सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ असंतोष उजागर करने के लिए प्रेस कांफ्रेंस बुलाई जिसमें उन्होंने जाहिर किया कि केसों के बंटवारे और सीजेआई की कार्यशैली से उन्हें समस्या है. इस मामले पर कांग्रेस की औपचारिक प्रतिक्रिया आ गयी है| अध्यक्ष ने आज पत्रकार वार्ता में कहा कि चारों जजों द्वारा उठाई गई बातें बेहद महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने जिन बातों का जिक्र किया है वे लोकतंत्र के लिए खतरनाक हैं. ऐसा पहली बार हुआ है|

राहुल गाँधी ने मामले को काफी गंभीर बताया और कहा मुझे लगता है कि भारत का हर नागरिक जिसे न्याय प्रणाली पर भरोसा है वे इस मामले पर गंभीरता से नजर रख रहे हैं. पूरा हिंदुस्तान इस लीगल सिस्टम पर भरोसा करता है| राहुल गांधी ने कहा कि यह मुद्दा आम लोगों के विश्वास से जुड़ा हुआ है इसलिए उन्हें लगा कि उन्हें इस बारे में बोलना चाहिए.

राहुल गाँधी से पूर्व कांग्रेस प्रवक्ता ने पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जजों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही गई बातें बेहद परेशान करने वाली है. लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए न्याय पालिका को मजबूत बनाए रखना बेहद जरूरी है|

गौरतलब है कि आज पूरा देश उस वक़्त अचंभित रह गया जब यह खबर आई कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज मीडिया से मुखातिब होंगे. सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कोर्ट में जिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है उनके बारे में मीडिया से बात की.

जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि स्वतंत्र न्यायपालिका के बिना लोकतंत्र का अस्तित्व संभव नहीं है. किसी भी देश के लोकतंत्र के लिए न्यायपालिका की स्वतंत्रता भी जरूरी है. अगर ऐसा नहीं होता है तो लोकतंत्र नहीं बच पाएगा. जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कूरियन जोसेफ इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद रहे.