नई दिल्ली: भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. न्यायाधीशों की नियुक्ति के बारे में सरकार और न्यायपालिका के बीच चल रहे टकराव पर उन्होंने बात रखी. सूत्रों के अनुसार, इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से बात की.

बता दें कि ये प्रेस कॉन्फ्रेंस जस्टिस जे चेलमेश्वर के घर में आयोजित की गई थी. उनके साथ अन्य तीन जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरिन जोसेफ मौजूद थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि बेहतर लोकतंत्र का आधार स्वतंत्र न्याय व्यवस्था होती है, बगैर इसके लोकतंत्र सुरक्षित नहीं रह सकता.

जजों ने कहा, सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन काम नहीं कर रहा. पिछले कुछ महीनों में कई ऐसी बातें हुई हैं. हमारे सामने और कोई चारा बचा नहीं था कि हम सीधे देश से रू-ब-रू हों. हमने मिलकर मुख्य न्यायाधीश को हालात के बारे में बताने की कोशिश की, जिससे जरूरी कदम उठाए जा सकें लेकिन हम नाकाम रहे. हम चारों इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए एक पारदर्शी जज और न्याय व्यवस्था की जरूरत है.

उन्होंने कहा, हम इसे लेकर सुबह सीजेआई से मिले लेकिन उन्हें समझाने में सफल नहीं हो पाए. हमने देश में बहुत से बुद्धिमान लोगों को देखा है लेकिन हम नहीं चाहते कि 20 साल बाद बुद्धिमान लोग हमसे इस बारे में बोलें कि हम चारों ने अपनी आत्मा बेच दी थी. ये हमारी जिम्मेदारी थी कि हम देश को इस बारे में बताएं और हमने ऐसा किया.