इलाहाबाद: इलाहाबाद पहुंचे द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस पर राम मंदिर आंदोलन को कमजोर करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि राम मंदिर का ताला तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मेरी सलाह लेकर ही खुलवाया था.

लेकिन उसके बाद विश्व हिन्दू परिषद ने विजय जुलूस निकालकर इस मामले को बिगाड़ दिया, जिससे मुसलमान नाराज हो गए. उन्होंने कहा कि राम मंदिर के लिए हम कटिबद्ध हैं और भगवान राम का मंदिर राम जन्म भूमि पर ही बनेगा.

उन्होंने कहा है कि राम जन्म भूमि को लेकर स्कन्द पुराण में प्रमाण मिलता है. जिसे हम सुप्रीम कोर्ट में भी साबित करेंगे. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि उनकी संस्था राम जन्म भूमि पुर्नउद्धार समिति इस मुकदमे में पार्टी है और हमारे अधिवक्ताओं मे हाईकोर्ट में डेढ़ माह तक बहस कर यह सिद्ध किया है कि जिस जगह रामलला विराजमान है. वह जगह राम जन्म भूमि ही है.

उन्होंने कहा है कि विवादित स्थल पर कभी मस्जिद थी ही नहीं. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक रामजन्म भूमि की जमीन को तीन हिस्सों में बांट दी गई है. जिसमें बीच का हिस्सा राम लला और एक हिस्सा निर्मोही अखाड़े और तीसरा हिस्सा मुसलमानों को दिया गया है.

लेकिन पूरी की पूरी जमीन राम लला की है, और वह जगह रामलला की ही रहनी चाहिए. उन्होंने कहा है कि मंदिर मस्जिद का निर्माण भी अलग-बगल नहीं होना चाहिए. ऐसा होने से हमेशा के लिए विवाद का कारण बनेगा.

स्वरूपानंद ने कहा है कि उनके पास एक और मुस्लिम शासक का दस्तावेज मौजूद है जिसमें यह लिखा गया है कि अगर कोई मस्जिद टूट गई है तो मुसलमान मुआवजा लेकर दूसरी जगह मुस्लिम आबादी में मस्जिद का निर्माण कर इबादत कर सकते हैं.

उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में इन साक्ष्यों के आधार पर वे सिद्ध कर लेगें कि रामजन्म भूमि पर राम लला का ही अधिकार है और मंदिर भी वहीं बनना चाहिए.