नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2017-18 के लिए देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद के ग्रोथ रेट का पूर्वानुमान सरकार ने जारी कर दिया है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक, इस साल 6.5 फीसदी की दर से जीडीपी बढ़ने की उम्मीद है, जो पिछले साल से कम है. बता दें कि पिछले साल 2016-17 में जीडीपी की वृद्धि दर 7.1 फीसदी थी. वहीं, 2015-16 में जीडीपी की वृद्धि दर 8 प्रतिशत थी. कुल मिलाकर देखा जाए तो इस अनुमान से विकास दर में कमी की बात दिख रही है. यह पूर्वानुमान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वित्त मंत्रालय 2018 के बजट की तैयारी कर रही है और ये 1 फरवरी को प्रस्तुत होगा.

इस पूर्वानुमान के मुताबिक कृषि, वनीकरण और मछली पकड़ने के क्षेत्र में विकास 2.1 प्रतिशत की उम्मीद है, जबकि इन क्षेत्रों में पिछले साल 2016-17 में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी. वहीं, विनिर्माण क्षेत्र में 4.6 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है, जबकि 2016-17 में 7.9 प्रतिशत दर्ज की गई थी. वित्तीय, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विसेज सेक्टर में वृद्धि 7.3 फीसदी से बढ़ने की उम्मीद है जो 2016-17 में 5.7 फीसदी दर्ज की गई थी.

सिंतबर महीने में जीडीपी की ग्रोथ रेट 6.3 फीसदी दर्ज की गई थी, जो अप्रैल-जून तिमाही में यह लगभग 5.7 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गई थी.यह तीन साल के सबसे निचले स्तर पर था. पिछले दिनों जारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक विकास दर तीन साल के सबसे निचले स्तर पर चली गई थी. इसके लिए जीएसटी और नोटबंदी जैसे सरकार के फैसले को जिम्मेवार ठहराया गया था.

एक निजी क्षेत्र के सर्वेक्षण में मंगलवार को दिखाया गया कि दिसंबर में पिछले पांच वर्षों में फैक्ट्री गतिविधि का सबसे तेज गति से विस्तार हुआ है. बता दें कि इससे पहले अप्रैल-जून तिहामी में विकास दर 5.7 फीसदी था, जो लगभग 3 साल का सबसे निचला स्‍तर था. उस वक्त वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी के 1 जुलाई से लागू होने से पहले ही बाजार ने इस गिरावट के संकेत दे दिये थे.