केमिकल, प्लास्टिक, निर्माण एवं खनन उद्योग तथा संबद्ध उत्पादों के सबसे बड़े सोर्सिंग और नेटवर्किंग कार्यक्रमों में से एक कैपइंडिया 2018 के तीसरे संस्करण का आयोजन होने जा रहा है। यह आयोजन वाणिज्य विभाग, भारत सरकार (जीओआई) के तत्वाधान में केमिकल्स एवं पेट्रोकेमिकल्स विभाग, जीओआई के सहयोग से और प्लेक्सकाॅन्सिल, केमेक्ससिल, कैपेक्सिल तथा शेफेक्सिल द्वारा संयुक्त रूप से किया जायेगा। गुजरात कैपइंडिया 2018 का भागीदार राज्य है। भारत की उत्पादन क्षमता और सामथ्र्य (विदेशी बाजारों में सेवा की क्षमता समेत) के ‘मेक इन इंडिया’ का यह व्यापक प्रदर्शन 22 से 24 मार्च 2018 को बाॅम्बे एक्जिबिशन सेंटर, गोरेगांव, मुंबई में होगा। यह पहल देश की विश्व स्तरीय उत्पादन क्षमता की प्रस्तुति है और इसका लक्ष्य भारत में निर्मित उत्पादों का निर्यात बढ़ाना है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने कहा, ‘‘भारत के आयात-निर्यात अनुपात को बढ़ाने वाली देश की नीतिगत पहलों के हिस्से के तौर पर जीडीपी में विदेशी व्यापार के योगदान को बढ़ाना महत्वपूर्ण है। मैं निर्यात प्रबंधन की चार समितियों- प्लेक्सकाॅन्सिल, केमेक्ससिल, कैपेक्सिल और शेफेक्सिल को कैपइंडिया 2018 के आयोजन के लिये बधाई देता हूँ, जो कि केमिकल, प्लास्टिक, निर्माण, खनन और संबद्ध उद्योगों के लिये सबसे बड़े सोर्सिंग आयोजनों में से एक है। अपने मंत्रालय और भारत सरकार की ओर से हम निर्यात प्रवर्तन समिति की प्रयासों की सराहना करते हैं और प्लास्टिक, केमिकल, निर्माण, खनन तथा संबद्ध उत्पाद निर्यातक अग्रणी भारतीय कंपनियों से आग्रह करते हैं कि वह इसमें पूरा सहयोग प्रदान करें, कैपइंडिया 2018 में भाग लें, और इस सामूहिक प्रयास का हिस्सा बनें।’’

प्लेक्सकाॅन्सिल के चेयरमैन प्रदीप ठक्कर ने कहा, ‘‘कैपइंडिया 2018 हमारे सदस्यों के लिये महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, क्योंकि हम वर्ष 2017-18 में 8 बिलियन अमेरिकी डाॅलर के आंकड़े को पार करना चाहते हैं। प्लास्टिक भारत में सबसे तेजी से बढ़ते उद्योगों में से एक है, जिसकी औसत वृद्धि दर दहाई अंकों में है। भारतीय प्लास्टिक उद्योग क्षमता, आधारभूत संरचना और कुशल कार्यबल के संदर्भ में बड़ी संभावना की पेशकश करता है। भारत विश्व में पाॅलीमर के शीर्ष पाँच उपभोक्ताओं में से एक है और यहाँ 30,000 से अधिक प्लास्टिक प्रसंस्करण इकाइयाँ हैं, जिनमें देशभर के चार मिलियन से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। भारत में प्लास्टिक निर्यात का वर्तमान चलन प्रोत्साहित करने वाला है।