लखनऊ: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) की राज्य इकाई ने योगी सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किये गये यूपीकोका विधेयक पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पार्टी ने कहा है कि यूपीकोका जैसा काला कानून बनाने में जुटी भाजपा सरकार अपराध नियंत्रण की आड़ में धुर राजनीतिक विरोधियों से निपटने का इंतजाम कर रही है, जिसका पार्टी सड़क पर विरोध करेगी।

पार्टी के राज्य कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि योगी सरकार यूपीकोका लाकर संविधान प्रदत्त लोकतांत्रिक अधिकारों का गला घोंटना चाहती है। इस कानून के प्रावधानों से आपातकाल की यादें ताजा हो रही हैं। इसमें किये गये एक प्रावधान के तहत वन संपदा के अवैध दोहन और वन्य जीवों के व्यापार पर यूपीकोका लगाया जा सकता है। गौर तलब है कि मिर्जापुर-सोनभद्र-चंदौली अंचल में वन भूमि पर पुश्तों से रहते आये आदिवासीयों, दलितों, गरीबों को वनाधिकार कानून के तहत मिले अधिकारों से वंचित करने के लिए इसी तरह के आरोप लगाकर फर्जी मुकदमे कायम किये जाते हैं। ऐसे में अब उन पर यूपीकोका लगाया जायेगा और लंबे समय के लिए जेल भेज दिया जायेगा। इसी तरह, किसी भी राजनीतिक विरोधी को राष्ट्र विरोधी बताकर यूपीकोका के दायरे में लाया जा सकता है। कन्हैया कुमार, चंद्रशेखर रावण जैसे राजनीतिक विरोधी यूपी में अब यूपीकोका के तहत फंसाये जायेंगे। अल्पसंख्यकों और वामपंथी कार्यकर्ताओं के खिलाफ भी यह इस्तेमाल होगा। संघ की परियोजना के तहत योगी सरकार यह कानून ला रही है। भाकपा (माले) यूपीकोका विधेयक को सरकार से वापस लेने की मांग करती है।