यरूशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विवादित फैसले के बाद ग़ज़ा पट्टी और इसराइली कब्ज़े वाले वेस्ट बैंक में हिंसा भड़क गई. वेस्ट बैंक में जहां सैकड़ों फलस्तीनी प्रदर्शनकारियों की इजराइली जवानों से झड़प हो गई, वहीं ग़ज़ा में कार्यकर्ताओं ने ट्रंप के पोस्टर जलाए.

ग़ज़ा का प्रशासन चला रहे उग्रवादी संगठन हमास के नेता ने गुस्सा जाहिर करने के लिए नए सैन्य आंदोलन का आह्वान किया. प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी और इजराइली झंडे भी जलाए. पश्चिमी तट में प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने टायरों में आग लगा दी और इजराइली जवानों पर पथराव किया. वहीं बेथलहम में जवानों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए वाटर कैनन और आंसू गैस के गोले छोड़े गए.

ट्रंप की इस घोषणा की कई देशों ने आलोचना की है. अमेरिका के कई सहयोगियों और साझेदारों ने भी इस विवादास्पद निर्णय की निंदा की है. तुर्की के राष्ट्रपति रजब तयब एर्दोग़ान ने आगाह किया कि इससे क्षेत्र आग के गोले में बदल जाएगा.

इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप की प्रशंसा करते हुए इसे ऐतिहासिक फैसला बताया और अन्य देशों से भी इसका अनुसरण करने को कहा.

फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि ट्रंप का यह कदम अमेरिका को पश्चिम एशिया में शांति स्थापित करने की पारंपरिक भूमिका के लिए अयोग्य ठहराता है.

सऊदी अरब ने ट्रंप के इस कदम को अनुचित और ग़ैर जिम्मेदाराना बताया है. इस बीच पूर्वी यरुशलम, पश्चिमी तट आदि क्षेत्रों में फलस्तीनी दुकानें बंद रहीं. आम हड़ताल के आह्वान के बाद स्कूल भी बंद रहे.

ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने कहा कि वह इस घोषणा और अमेरिकी दूतावास को वहां स्थानांतरित करने के कदम से सहमत नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि इस क्षेत्र में शांति की संभावनाएं तलाशने की दिशा में यह मददगार साबित नहीं होगा.

जर्मनी ने कहा कि वह ट्रंप के इस फैसले का समर्थन नहीं करता. उधर, ट्रंप की घोषणा के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को एक बैठक बुलाई है.

सुरक्षा परिषद के 15 में से कम से कम आठ सदस्यों ने वैश्विक निकाय से एक विशेष बैठक बुलाने की मांग की है. बैठक की मांग करने वाले देशों में दो स्थायी सदस्य ब्रिटेन और फ्रांस तथा बोलीविया, मिस्र, इटली, सेनेगल, स्वीडन, ब्रिटेन और उरुग्वे जैसे अस्थायी सदस्य शामिल हैं.