आपराधिक मुकदमे केवल चार मेयरों पर, ज्यादातर स्नातक से उपर शिक्षित

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजे आने के बाद जो तस्वीर उभर कर सामने आयी है उससे यह साफ है कि कम से कम बड़े शहरों में मतदाताओं ने अपेक्षाकृत साफ सुथरी छवि के पढ़े लिखों को चुना है। चुने गए मेयरों में बड़ी तादाद करीब 80 फीसदी करोड़पतियों की है।

उत्तर प्रदेश के नवनिर्वाचित महापौरों के वित्तीय, आपराधिक व अन्य विवरणों के विश्लेषण के आधार पर तैयार की गयी रिपोर्ट को जारी करते हुए एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआऱ) यूपी इलेक्शन वाच के मुख्य समन्वयक संजय सिंह ने बताया कि इस बार के स्थानीय निकाय चुनावों में प्रदेश के 15 बड़े शहरों में चुने गए मेयरों में से महज चार यानी 27 फीसदी ने अपने उपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। यह सभी मेयर भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुने गए हैं। उन्होंने बताया कि जनपद गाजियाबाद की महापौर भाजपा की आशा शर्मा का शपथपत्र उपलब्ध न होने के चलते उन्हें विश्लेषण में शामिल नही किया जा सका।

संजय सिंह ने बताया कि जहां तक करोड़पतियों के चुने जाने का सवाल हो तो भाजपा के टिकट पर चुन कर आए 80 फीसदी और बहुजन समाज पार्टी के दोनो मेयर करोड़ पति हैं। सबसे ज्यादा संपत्ति वाले मेयरों में आगरा से भाजपा के टिकट पर चुने गए नवीन जैन 409 करोड़ रुपये, अभिलाषा गुप्ता इलाहाबाद 58 करोड़, लखनऊ से संयुक्ता भाटिया व गोरखपुर से सीताराम जायसवाल 8-8 करोड़ व अलीगढ़ से बसपा के टिकट पर चुने गए मो. फुरकान 7 करोड़ रुपये हैं। सबसे ज्यादा देनदारी घोषित करने वाले निर्वाचित मेयरों में अभिलाषा गुप्ता 17 करोड़ रुपये, उमेश गौतम बरेली 3 करोड़ व रामतीर्थ सिंघल झांसी एक करोड़ रुपये हैं। रिपोर्ट के मुताबिक सबसे कम संपत्ति का ब्यौरा देने वाले मथुरा से भाजपा के मेयर मुकेश 16 लाख व फिरोजाबाद से इसी दल की नूतन राठौर 11 लाख रुपये रहीं हैं।

एडीआर यूपी की रिपोर्ट के मुताबिक इस बार महापौर निर्वाचित हुए 80 फीसदी की शैक्षिक योग्यता स्नातक या इससे उपर है। कुल निर्वाचित मेयरों में छह की शैक्षिक योग्यता परास्नातक व एक की डाक्टरेट है। महापौरों द्वारा घोषित आपराधिक मामलों के हिसाब से इलाहाबाद की अभिलाषा गुप्ता पर गंभीर आईपीसी की धाराओं में दो मुकदमे दर्ज हैं जबकि आगरा के नवीन जैन पर चार मुकदमे दर्ज हैं। कानपुर से भाजपा की मेयर प्रमिला पांडे व अयोध्या से इसी पार्टी के ऋषिकेश पर एक-एक मुकदमे दर्ज हैं।

संजय सिंह ने बताया कि इस बार के स्थानीय निकाय चुनावों में एडीआर यूपी ने लखनऊ नगर निगम में मतदाता जागरुकता का सघन अभियान चलाया। लगभग 20 दिनों तक चले इस अभियान में एडीआर के 100 से ज्यादा वालंटियरों ने सभी 110 वार्डों में जाकर मतदाताओं से संपर्क किया। नक्कड़ नाटकों और रैलियों के माध्यम से भी बड़े पैमाने पर जागरुकता अभियान चलाया गया।