नई दिल्ली: सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार को जरूरी करने की डेडलाइन को बढ़ाकर 31 मार्च किया जाएगा। यह बात सरकार ने उस समय कही है जब सुप्रीम कोर्ट में आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सुनवाई चल रही थी। केंद्र सरकार की ओर से शुक्रवार को अधिसूचना जारी की जाएगी और आधार की अनिवार्यता की डेडलाइन को बढ़ाया जाएगा। अब तक यह समय सीमा 31 दिसंबर, 2017 थी और इस तारीख तक आधार कार्ड को लिंक कराना जरूरी था।

गुरुवार को आधार कार्ड की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। आधार की अनिवार्यता पर रोक की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक बेंच गठित करने की बात कही है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि अगले सप्ताह कोर्ट पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन करेगी, जो याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रख रहे थे। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड की अनिवार्यता पर अब रोक नहीं लगाई जा सकती क्योंकि अब इस पर काफी आगे बढ़ा जा चुका है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस मसले पर बहस करने के लिए तैयार है। केस की सुनवाई के दौरान आधार कार्ड की अनिवार्यता को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से मामले को तेजी से निपटाने की भी मांग की।

अटॉर्नी जनरल ने हालांकि स्पष्ट किया कि मोबाइल सेवाओं को आधार से जोड़ने की समयसीमा अगले साल छह फरवरी ही रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मोबाइल सेवाओं को आधार से जोड़ना अनिवार्य है।आधार योजना का विरोध करने वाले लोगों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने पीठ को बताया कि केंद्र सरकार को यह हलफनामा देना चाहिए कि आधार को विभिन्न योजनाओं से जोड़ने में नाकाम रहने वाले लोगों के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने 30 अक्टूबर को कहा था कि आधार योजना के खिलाफ कई याचिकाओं पर संविधान पीठ नवंबर के आखिरी सप्ताह से सुनवाई शुरू करेगी। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था कि संविधान के तहत निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है। आधार की वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं में दावा किया गया था कि यह निजी अधिकारों का उल्लंन करता है।