या नबी सलाम अलैका या रसूल सलाम अलैका से गूंजा शहर

लखनऊ:आॅल इण्डिया मोहम्मदी मिशन के तत्वाधान में जुलूस-ए-मोहम्मदी दरगाह हज़रत मख्दूम शाहमीना से बड़ी ही शानो शौकत के साथ निकाला गया। अन्जुमन या नबी सलाम अलैका या रसूल सलाम अलैका की सदा बुलन्द करके अपने परचमों को लहराते जा रहे थे और दूसरी तरफ नबी की शान मे नारे गूंज रहे थे इस मौके पर दिवाने खुशी से झूम कर अपने नबी की शान में नातो का नज़राना पेश कर रहे थे जैसे जैसे जुलूस-ए-मोहम्मदी बढ़़ने का सिलसिला षुरू हुआ, तो फूलो व झालरों से सजी बग्घी, झांकी, व विभिन्न प्रकार के झंडे पीछे पीछे सैकडों अंजुमन अपने परचम के साथ नात पढ़ते हुई आगे बढ रहे थे। जुलूस-ए-मोहम्मदी अपनी तय शुदा वक्त दोपहर 2 बजें दरगाह शाहमीना से बरामद हुआ वाया मेडिकल चैराहा, शाहमीना चैराहा होता हुआ नीबू पार्क मार्ग पर पहॅुचा ही था कि कन्चन मार्केट में सारे फूल व्यापारियों ने जुलूस का स्वागत फूलों की बारिश से किया। जुलूस-ए-मोहम्मदी का समापन 4 बजे ज्योतिबाफुले पार्क के निकट हुआ। इस साल जुलूस-ए-मोहम्मदी की कयादत काज़ी शहर मुफती अबुल इरफान मियाॅ फिरंगी महली व मिशन के अध्यक्ष सैयद अयूब अशरफ किछौछवी व मेहमाने खुसूसी पीरे तरीकत बानी जामें सूफिया हज़रत मौलाना सैयद मोहम्मद जिलानी अशरफ किछौछवी ने की।

सैयद अयूब अशरफ ने कहा कि जश्न व जुलूस-ए-मोहम्मदी हमारा सवैधानिक अधिकार है श्री अशरफ ने कहा कि जिला प्रशासन जुलूस-ए-मोहम्मदी जब नज़दीक आ जाता है तब आश्वासन पर आश्वासन देकर टालमटोल की नीति अपनाती जबकि मिशन जश्न -ए-मोहम्मदी के स्थान के निर्धारण व जुलूस-ए-मोहम्मदी के विस्तार के सम्बन्ध में पूरे वर्ष कोशिश मे लगी रहती है मुख्यमंत्री ने कई बार जुलूस के सम्बन्ध में जिला प्रशासन से रिर्पोट माॅगी मगर प्रशासन पुराने राग को अलाप कर, इस विषय को टालने पर लगी रहती है जबकि मिशन अपनी आध्यातमिक विचारधारा के कारण विशवास करके पुनः कोशिश में लग जाती है हमें लगता है कि आॅल इण्डिया मोहम्मदी मिशन को विवश होकर मोहम्मदी तहरीक चलाने पर मजबूर होना बड़ेगा।

काजी-ए-शहर मुफती अबुल इरफान मियाॅं ने कहा कि इन्सान रसूलल्लाह, सहाबा व अहलेबैत व सुफियाए-ए-कराम की बताई हुई बातों पर चलकर ही इंसान अल्लाह का महबूब बन सकता है काजी-ए-शहर ने कहा कि बेहतर शीक्षा हासिल करना हर इंसान का फर्ज़ है क्योकि शिक्षा ही इसान को सही मार्ग पर जिंदगी गुजारने का सलीका सिखाती है शिक्षित इंसान ही नबी-ए-करीम के पैगाम को समझ सकता है और दूसरो को सही राह बता सकता है।

पीरे तरीकत बानी जामें सुफिया हज़रत मौलाना सैयद मोहम्मद जिलानी अशरफ किछौछवी ने ने कहा कि जुलुस-ए-मोहम्मदी गंगा जमुनी तहजीब का प्रतीक है इसमें न सिर्फ मुसलमान बल्कि विभिन्न धर्मो के लोग अकीदत का नज़राना पेश करते है और उनका यह यकीन है कि आज के इस दिन के मौके पर उनकी सभी जायज मुरादे पूरी हो जाती है।

आल इण्डिया मोहम्मदी मिशन के उपाध्यक्ष शाकिर अली मिनाई, सैयद इकबाल हाशमी, मुमताज़ खान, डाॅ एहसान उल्लाह, सैयद याकूब अशरफ व सेक्रेटरी सैयद अहमद नदीम ने आई हुई तमाम आशिकाने रसूल को मुबारक बाद पेश की तथा प्रशासन, मिडिया, एल.आइ.यू, आई.बी. तथा जिन लोगों ने जुलूस-ए-मोहम्मदी को बढ़ाने, सवारने व सजाने में मदद की है सबका शुक्रिया अदा किया।