लखनऊ: समाजवादी चिंतन व बौद्धिक सभा तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को लोहिया सम्मान से विभूषित करेगी। इसके पहले सभा मारीशस सोशलिस्ट मिलिटेण्ट के संस्थापक-अध्यक्ष व मॉरीशस के प्रधानमंत्री रहे सर अनिरुद्ध जगन्नाथ, लोहिया के शिष्य व लोकसभा अध्यक्ष रहे रवि राय तथा प्रथम लोकसभा (1952-57) के सदस्य लोहिया के मणिपुर सत्याग्रह के सहभागी एवं मणिपुर के कई बार मुख्यमंत्री बने नेता प्रतिपक्ष रहे रीशांक कीशिंग को दिया जा चुका है। यह सम्मान महात्मा गांधी व डॉक्टर लोहिया की साझा वैचारिक विरासत को आगे बढ़ाने वाली विभूतियों को सांकेतिक सम्मान स्वरूप दिया जाता है।

इस आशय की जानकारी देते हुए समाजवादी चिन्तक व चिन्तन सभा के अध्यक्ष दीपक मिश्र ने बताया कि दलाई लामा कई दशक से तिब्बत की स्वतंत्रता व अस्मिता की लड़ाई लड़ रहे हैं। चीन की उपनिवेशवादी नीति के विरुद्ध लोहिया सदैव आवाज उठाते रहे। उन्होंने दलाई लामा व पददलित तिब्बतियों की आवाज पहली बार 1949 में लंदन-कांफ्रेन्स और भारतीय संसद में 30 जून व 14 जुलाई 1967 को पूरी प्रतिबद्धता से उठाया था। उन्होंने चीन के तिब्बत पर हमले को ‘शिशु-हत्या’ की संज्ञा दी थी। लोहिया ने तिब्बतियों के समर्थन में व्यापक अभियान चलाया था जिसमें श्री रवि राय, अटल बिहारी बाजपेयी, जॉर्ज फर्नाण्डीज, सामदोंग रिंपोछे व ग्याल्त्सेन ग्योरी सदृश विभूतियों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। लोहिया की ही प्रेरणा से वर्तमान न्यायमूर्ति एम.सी. छागला की अध्यक्षता में तिब्बत समर्थक संसदीय मंच का गठन हुआ।

श्री मिश्र ने कहा कि समाजवादियों ने सदैव चीन की भारत व तिब्बत विरोधी नीतियों एवं गतिविधियों के प्रति प्रतिकार का भाव भी दलाई लामा को लोहिया-सम्मान देने में निहित है। भारत की केन्द्र सरकार की चीन-नीति चाहे जितनी भी घुटना टेक व पंगु क्यों न हो किन्तु भारत की महान जनता तिब्बतियों तथा लामा के साथ खड़ी थी, है और आगे भी रहेगी। चीन ने दलाई लामा से न मिलने की बात कह कर भारतीयों के शौर्य को चुनौती दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी की चुप्पी भारत के हितों के प्रतिकूल है। हमें अन्तर्राष्ट्रीय जगत व वैश्विक संगठनों के समक्ष स्पष्ट कर देना चाहिए कि चीन की सरकार आतंकी अजहर मसूद के साथ और भारत की जनता शांति-दूत दलाई लामा के साथ खड़ी है।

भारतीय प्रधानमंत्री को पूरी ताकत से चीन से भारतीय जमीन को वापस लेने व तिब्बत को उसका अधिकार दिलाने का कूटनीतिक अभियान चलाना चाहिए।

डा० लोहिया के अनुगमन में पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने 27 फरवरी 1961 को चीन की साम्राज्यवादी सोच व तिब्बत के समर्थन में सार्वजनिक वक्तव्य जारी किया था। 20 मार्च 1960 को आर्गनाइजर में प्रकाशित बयान में पंडित जी ने भारत की केन्द्र सरकार को तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए खड़े होने की जोरदार अपील की थी।

लोहिया व दीनदयाल की साझा विरासत में आस्था रखने वाला हर नागरिक लामा व तिब्बत के साथ खड़ा है। तिब्बत व दलाई लामा के संदर्भ में केन्द्र सरकार के जिम्मेदार नेता व अधिकारी अपनी घटाटोप चुप्पी तोड़कर तस्वीर स्पष्ट करें।

इण्टरनेशनल सोशलिस्ट काउन्सिल के सचिव श्री मिश्र ने कहा कि लोहिया सम्मान का वैचारिक महत्व है। दलाई लामा सही मायने में महात्मा गांधी के उन वैश्विक अभियानों को आगे बढ़ा रहे हैं जिन्हें डा० लोहिया ने नई दिशा दी थी।

चिन्तन व बौद्धिक सभा द्वारा दलाई लामा जी को लोहिया सम्मान देने की आधिकारिक जानकारी दे दी गई है।