नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के 18वीं शताब्दी के मैसूर राज्य के शासक टीपू सुल्तान की तारीफ करने से उन्हें लेकर छिड़ी राजनीतिक बहस आने वाले समय में और गरमा सकती है.

बुधवार को कर्नाटक विधानसभा के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि टीपू सुल्तान अंग्रेजों से लोहा लेते हुए बहादुरी की मौत मरे थे. उन्होंने मैसूर रॉकेट के विकास में अहम योगदान दिया था और युद्ध के दौरान इनका बेहतरीन इस्तेमाल किया था. राष्ट्रपति ने कहा कि बाद में इस तकनीक को यूरोपियन लोगों ने अपना लिया.
राष्ट्रपति द्वारा टीपू सुल्तान की तारीफ करना राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी को रास नहीं आया. पार्टी के कई नेता इससे हैरान हैं. बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी कांग्रेस ने भाषण अपने हिसाब से तैयार करवाया था. जिसके बारे में राष्ट्रपति को कोई जानकारी नहीं थी.

राष्ट्रपति के दिए भाषण के कुछ घंटे बाद मैसूर से ही बीजेपी के सांसद प्रताप सिम्हा ने ट्वीट कर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से पूछा कि, अगर टीपू सुल्तान रॉकेट मिसाइल का विकास किया था तो फिर तीसरे और चौथे एंग्लो-मैसर युद्ध में उनकी हार कैसी हुई?

सिम्हा ने राष्ट्रपति द्वारा टीपू सुल्तान की मौत बहादुरी से लड़ते हुए हुई कही गई बात का खंडन करते हुए ट्विट किया कि टीपू सुल्तान की मौत युद्ध लड़ते हुए नहीं बल्कि किले के अंदर बिना लड़ाई करते हुई.

कर्नाटक सरकार 2015 से हर साल 10 नवंबर को टीपू सुल्तान की जयंती मना रही है. बीजेपी इसका कड़ा विरोध कर रही है. बीजेपी टीपू सुल्तान को हिंदू विरोधी और बर्बर हत्यारा बताती है. ऐसे में राष्ट्रपति के दिए इस भाषण से यह विवाद और भड़क सकता है.