नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कर्नाटक विधानसभा में टीपू सुल्तान की तारीफ की. राष्ट्रपति कोविंद ने टीपू सुल्तान को एक योद्धा करार दिया जो कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए बहादुरों की मौत मरे. उन्होंने कहा, ‘‘टीपू सुलतान ने ब्रिटिश राज से लड़ते हुए बहादुरों की मौत पाई. वह विकास के प्रणेता थे और जंग में उन्होंने मैसूर राकेट का इस्तेमाल किया था. यह तकनीक बाद में यूरोपवासियों ने अपनाई.’’ राष्ट्रपति का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कर्नाटक सरकार द्वारा टीपू जयंती बनाने को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. यहां तक कि मोदी सरकार में मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने टीपू सुल्तान को रेपिस्ट और हत्यारा बताया था . राष्ट्रपति कर्नाटक विधानसभा के संयुक्त संत्र को संबोधित कर रहे थे. कर्नाटक विधानसभा में बोलते हुए राष्ट्रपित रामनाथ कोविंद ने यह भी कहा कि टीपू ने रॉकेट के विकास में महत्वपुर्ण योगदान दिया और युद्ध में इसका बेहतरीन इस्तेमाल किया.

कर्नाटक सरकार 10 नवंबर को टीपू सुल्तान की जयंती मना रही है. 20 अक्टूबर को केंद्रीय कौशल विकास राज्‍य मंत्री और बीजेपी नेता अनंत कुमार हेगड़े ने कर्नाटक सरकार से कहा है कि उनको इस समारोह में शिरकत करने के लिए आमंत्रण नहीं भेजा जाए. उन्‍होंने ट्वीट कर कहा, ''कर्नाटक सरकार से कहा है कि एक क्रूर हत्‍यारे, उन्‍मादी और सामूहिक बलात्‍कार करने वाले शख्‍स को गौरवान्वित करने वाले दुर्भाग्‍यपूर्ण कार्यक्रम में मुझे शिरकत करने का आमंत्रण नहीं भेजे.''इस आशय का खत उन्‍होंने राज्‍य के मुख्‍य सचिव और उत्‍तर कन्‍नड़ के डिप्‍टी कमिश्‍नर को लिखा है.

साल 2016 में भी हेगड़े ने कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों में रहने वालों के कुछ वर्गों के विरोध के बावजूद टीपू जयंती मनाने पर राज्य सरकार की आलोचना की थी। हेगड़े ने कहा था कि टीपू कन्नड़ भाषा और हिंदुओं के विरुद्ध थे। बाद में हेगडे़ को उत्तर कन्नड़ जिले में समारोहों को बाधित करने के लिये हेगड़े को गिरफ्तार किया गया था। भाजपा और आरएसएस ने भी यह जयंती मनाने के सरकार के फैसले की आलोचना की और इसे अल्पसंख्यक तुष्टीकरण करार दिया था।

हेगड़े के ट्वीट के बाद प्रतिक्रिया देते हुए कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री एम सिद्दारमैया ने कहा, ''सरकार का हिस्‍सा होने के नाते उनको इस तरह का पत्र नहीं लिखना चाहिए. टीपू जयंती समारोह के आयोजन संबंधी नियंत्रण सभी केंद्र और राज्‍य के सभी नेताओं को भेजा जाएगा. ये उन पर निर्भर करता है कि वह इसे स्‍वीकार करते हैं या नहीं.'' मुख्‍यमंत्री ने इसके साथ ही यह भी जोड़ा, ''इसको राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है. टीपू ने अंग्रेजों के खिलाफ चार लड़ाईयां लड़ी थीं.'' दरअसल कर्नाटक की कांग्रेस सरकार का इस मामले में कहना है कि टीपू 18वीं सदी का शासक 'स्‍वतंत्रता सेनानी' था और औपनिवेशवाद के खिलाफ उसने लड़ाईयां लड़ी थीं.