नई दिल्ली: कर्ज के बोझ और घाटे की वजह से टेलिकॉम इंडस्ट्री अनुमान के मुताबिक करीब 1,50000 डायरेक्ट और इनडायरेक्ट नौकरियां जा सकती हैं। टेलिकॉम सेक्टर इस समय बहुत अधिक कर्ज में दबा है, जोकि एक अनुमान के मुताबिक करीब 8 लाख करोड़ रुपये है। इसके अलावा कस्टमर बेस बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा में दिए जा रहे ‘मुफ्त’ ऑफर्स की वजह से कंपनियां घाटे में हैं।

एकोनोइमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट की माने तो अप्रैल में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने भी कमर्शल बैंकों को टेलिकॉम सेक्टर की कंपनियों को दिए जा रहे लोन को लेकर सचेत किया था। इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक टेलिकॉम कंपनियों के पास कॉस्ट कटिंग के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। इसलिए अब छंटनी का सहारा लिया जा सकता है।

कुछ कंपनियों के बीच विलय समझौते की वजह से ही 15 हजार से अधिक नौकरियां जा सकती हैं। इंडस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक बड़े प्लेयर आइडिया सेल्युलर ने वोडाफोन से मर्जर की दिशा में बढ़ते हुए करीब 1,800 लोगों को नौकरी से निकाल दिया है। अभी 5 से 6 हजार और लोगों की नौकरी जा सकती है। दूसरी तरफ वोडाफोन ने 1,400 लोगों को सेवा मुक्त कर दिया है। देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी भारती एयरटेल भी सेल्स और रीटेल टीम से 1,500 लोगों को हटा चुकी है। टेलिनॉर की खरीद से नौकरियों में दोहराव भी छंटनी का एक कारण है। रिलांयस कम्युनिकेशन्स ने भी सिस्टमा के साथ मर्जर की दिशा में 1,200 कर्मचारियों की छुट्टी कर दी तो वहीं एयरसेल के साथ (टूट चुके) समझौते के लिए 800 लोगों को नौकरी गंवानी पड़ी।

गौरतलब है कि कुछ समय पहले टेलिकॉम सेक्टर रोजगार देने के मामले में टॉप 5 में था। 2016-17 में टेलिकम्युनिकेशन डिपार्टमेंट ने कहा, ‘कुछ अनुमानों के मुताबिक मोबाइल इंडस्ट्री का देश की जीडीपी में योगदान 6.5 फीसदी है और करीब 40 लाख लोगों को रोजगार (डायरेक्ट या इनडायरेक्ट) मिला हुआ है।’