लखनऊ : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की ग़रीब, किसान व जनविरोधी नीतियों एवं ग़लत कार्यप्रणाली के विरुद्ध उठने वाले जनाक्रोश को दबाने के लिये बीजेपी सरकारें क़ानून का अनुचित उपयोग कर लोगांे पर विभिन्न प्रकार का मुकदमा कायम करकेे सरकारी निरंकुशता को अपना नया हथियार बना रही हैं जो सर्वथा अनुचित ही नहीं बल्कि लोकतन्त्र की हत्या करने के प्रयास के समान है, जिसकी बी.एस.पी. कड़े शब्दों में निन्दा करती है।

मायावती ने अपने एक बयान में कहा कि बीजेपी शासित राज्यों ख़ासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखण्ड, हरियाणा, गुजरात व राजस्थान आदि में प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री पर टिप्पणी करने पर विभिन्न धाराओं में मुकदमें दर्ज करने की नई परम्परा शुरु हो गयी है वह लोकतन्त्र का गला घोंटने जैसा है तथा बीजेपी सरकार की तानाशाही प्रवृति को साबित करता है। दक्षिणी भारत के मशहूर अभिनेता प्रकाश राज पर मुकदमा व शामली, उत्तर प्रदेश में दलित युवक की इसी सम्बन्ध में गिरफ्तारी आदि यह साबित करती है कि बीजेपी सरकार निरंकुश होती चली जा रही हैं।

इसी क्रम में बीजेपी की केन्द्र सरकार ने दूरदर्शन व आकाशवाणी को ’हिज़ मोदी वायस’ बनाकर उसका महत्व ही लगभग समाप्त कर दिया है जबकि प्राइवेट मीडिया चैनलों पर अप्रत्यक्ष नियन्त्रण करके उसकी स्वतन्त्रता को खत्म करने का प्रयास लगातार जारी है। इतना ही नहीं बल्कि निष्पक्ष व स्वतन्त्र विचार रखने वाले लेखकों, साहित्यकारों व पत्रकारों को अलग-अलग ढंग से निशाना बनाया जा रहा है, जो किसी से भी छिपा हुआ नहीं है।

कुल मिलाकर यह सब ऐसी घातक प्रवृत्ति है जिससे लोकतन्त्र को खतरा पैदा होता चला जा रहा है तथा इस सम्बन्ध में माननीय न्याय पालिका का हस्तक्षेप ज़रुरी समझा लाने लगा है ताकि बीजेपी के हर स्तर पर जारी सरकारी निरंकुशता के व्यवहार पर अंकुश लगाया जा सके।

मायावती ने कहा कि बीजेपी एण्ड कम्पनी व आर.एस.एस. की संकीर्ण एवं घातक सोच का ही परिणाम है कि समाज के दबे-कुचले लोगांे का पहले जातिवादी व धार्मिक निरंकुशता का शिकार बनाया जाता है जिसके तहत् गुजरात में गरबा का कार्यक्रम देखने पर दलित युवक की हत्या कर दी जाती है और दलित युवकों द्वारा स्वाभाविक तौर पर मूँंछ रखे जाने पर उन्हें सरकारी संरक्षण में अनेकों प्रकार की जुल्म-ज्यादती का शिकार बनाया जाता है।

दूसरी तरफ इनकी सरकार के मुखिया की ग़लत नीतियों के विरुद्ध आक्रोश व्यक्त करने पर सरकारी निरंकुशता के तहत् उसे जेल भेज दिया जाता है जबकि खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ाने वालों व अन्य संगीन अपराध करने वाले भाजपाई तत्वों का सात खून माफ कर दिया जाता है तथा उनको समर्थन व संरक्षण प्रदान करने वाले हर प्रकार के बयान दिये जाते हैं।

देश में यह दुर्भाग्यपूर्ण व विनाशक प्रवृत्ति बहुत तेज़ी से पनपती चली जा रही है, जो समाज व देश के लिये अत्यन्त ही घातक है। बीजेपी एण्ड कम्पनी के लोग अपने आपको कानून व संविधान से ऊपर समझने लगे हैं, जिसके खिलाफ संघर्ष व लोगों का जागरुक व्यवहार ज़रुरी है।

साथ ही, बीजेपी सरकारों द्वारा जनहित व जनकल्याण की घोर अनदेखी करने की प्रवृति का ही परिणाम है कि इनके तमाम मंत्रीगण व इनके बडे़ नेता आदि जनसेवा को राजधर्म मानकर उस खास बड़ी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ निभाने के बजाय अपना समय व सरकारी संसाधन अन्यत्र ऐसी जगह बर्बाद करते हुये नज़र आते हैं जिसका कोई भी लाभ गरीबों, किसानों, बेरोजगार युवाओं व देश की आमजनता को मिलने वाला नहीं है।

इतना ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश बीजेपी सरकार में तो अपराध-नियंत्रण व कानून-व्यवस्था की स्थिति इतनी ज्यादा खराब होती चली जा रही है कि अब तो श्री राज्यपाल महोदय को भी अपनी नाराजगी खुले तौर पर ज़ाहिर करने को मजबूर होना पड़ा है। अपनी असंतुष्ठता को सार्वजनिक करते हुये उन्होंने कानून-व्यवस्था सुधारने की श्री योगी की बीजेपी सरकार को खुली सलाह दी है जो कि अख़बारों की सुर्खियों में है।

इसके अलावा, जैसाकि अख़बारों में चर्चा का विषय है कि अमेरिका के विदेश मंत्री ने अपने राष्ट्रपति को ’’मन्दबुद्धि’’ बताया है, क्या भारत में ऐसा होने पर इसके बाद की स्थिति का अन्दाज़ा लगाया जा सकता है?