लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज राजभवन में आयोजित एक इन हाउस कार्यक्रम में अधिकारियों एवं कर्मचारियों से उनके प्रशिक्षण से जुडे़ अनुभवों पर चर्चा की तथा अपने विचार भी साझा किए। राज्यपाल ने राजभवन के अधिकारियों एवं कर्मचारीगण हेतु भारतीय प्रबंधन संस्थान लखनऊ में गत माह 15 एवं 16 सितम्बर, 2017 को एक दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला हेतु अनुमति प्रदान की थी। प्रशिक्षण सत्र में नेतृत्व विकास, संगठन एवं संचार, रचनात्मकता, एथिक्स एवं व्यक्तित्व विकास आदि विषयों पर कार्यशाला का आयोजन किया गया था।

राज्यपाल ने अधिकारियों एवं कर्मचारियों से चर्चा के बाद अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकारी सेवा में प्रशिक्षण का अपना महत्व है। प्रशिक्षण से अच्छी संस्कृति का निर्माण होता है। शासकीय कार्य के निष्पादन में विशेष रूप से समय प्रबंधन का ध्यान रखना चाहिए। काम को बेहतर ढंग से करने की आदत डालें। राज्यपाल ने बताया कि उन्होंने राजभवन कर्मचारियों के लिए प्रथम बार आयोजित उच्च स्तर के प्रशिक्षण कार्यक्रम का उल्लेख नई दिल्ली में आयोजित राज्यपालों के सम्मेलन में भी करने हेतु पत्र प्रेषित किया है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण का लाभ निश्चित रूप से कार्य संस्कृति में परिलक्षित होगा।
श्री नाईक ने अपने द्वारा शुरू किए गए कुछ अन्य अभिनव प्रयोगों के बारे में भी बताया। राज्यपाल ने बताया कि राज्य की दूसरी सरकारी भाषा उर्दू होने के कारण उन्होंने अपनी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ तथा वार्षिक रिपोर्ट ‘राजभवन में राम नाईक’ को भी उर्दू में प्रकाशित करवाया। इसी दृष्टि से राजभवन के प्रवेश द्वारों पर हिन्दी, उर्दू तथा अंग्रेजी में गेट संख्या अंकित करवाई गई है। राज्यपाल ने पत्रावली सम्प्रेषण, पत्र लेखन और डाक टिकट के स्थान पर फ्रैंकिंग मशीन के उपयोग आदि पर भी अपने अनुभव साझा किए।

भारतीय प्रबंधन संस्थान लखनऊ में आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला में राजभवन के सहायक समीक्षा अधिकारी से लेकर विशेष सचिव पद तक तथा अपर विधि परामर्शी ने भी सहभाग किया था। अपर विधि परामर्शी श्री कामेश शुक्ल ने प्रशिक्षण के बारे में विस्तृत रूप से उल्लेख किया। श्री ललित मोहन शर्मा, श्री इन्द्रजीत सिंह भाटिया, श्री हेमन्त कुमार चैधरी, श्री पंकज कुमार, श्री भगवती शंकर ने अपने अनुभव साझा किए तथा धन्यवाद श्री सुदीप बनर्जी द्वारा ज्ञापित किया गया। इस अवसर पर प्रमुख सचिव श्री राज्यपाल सुश्री जूथिका पाटणकर सहित राजभवन के अन्य अधिकारीगण भी उपस्थित थे।