नई दिल्ली: पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या की फ़ॉरेंसिक जांच में यह बात सामने आई है कि उनकी हत्या उसी बंदूक से की गई जिससे दो साल पहले कन्नड़ बुद्धिजीवी एमएम कलबुर्गी की हत्या की गई थी।

इंडियन एक्सप्रेस ने गौरी लंकेश हत्याकांड की फ़ॉरेंसिक जांच के हवाले से लिखा कि गौरी लंकेश और कलबुर्गी दोनों की हत्या में 7.65-एमएम की पिस्तौल का इस्तेमाल किया गई।
जांचकर्ताओं ने गौरी लंकेश और कलबुर्गी की हत्याओं में इस्तेमाल हुई गोलियों और कारतूसों की तुलना की। जिसमें पता चला कि दोनों ही हत्याओं में एक ही पिस्तौल का इस्तेमाल किया गया था।

रिपोर्ट के मुताबिक, यह जानकारी मामले की जांच कर रही एसआईटी को दे दी गई है। इससे पहले 12 सितंबर को खबर आई थी कि इन दोनों हत्याओं के तार आपस में जुड़े हैं। दोनों ही हत्याओं का पैटर्न एक जैसा है।
चार सितंबर को गौरी लंकेश की अनजान हमलावरों ने उनके घर में घुसकर हत्या कर दी। ठीक इसी तरह 30 अगस्त, 2015 को एमएम कलबुर्गी की हत्या भी कर्नाटक के धारवाड़ स्थित उनके घर में की गई थी।

लेकिन इस मामले में एक और चौंकाने वाली बात यह सामने आई थी कि जिस बंदूक से कलबुर्गी की हत्या की गई थी, उस बंदूक को महाराष्ट्र के कम्युनिस्ट नेता गोविंद पानसारे की हत्या में भी इस्तेमाल किया गया था।
एक अधिकारी ने बताया कि इससे संकेत मिलता है कि इन हत्याओं के पीछे एक ही समूह या संगठन का हाथ हो सकता है।