नई दिल्ली: दलाई लामा ने म्यांमार में रोहिंग्या संकट को शांतिपूर्ण तरीके से समाधान निकालने के लिए आंग सान सू की से आग्रह किया है और इस हिंसा के बारे में चिंता व्यक्त की जिसमें बौद्ध-बहुमत वाले देश से लगभग 300,000 मुस्लिम रोहिंग्या जो यहाँ से जा चुकें हैं उन पर जो अत्याचार हुआ है उससे वह बहुत दुखी हैं।
अगस्त में हिंसा भड़कने के तुरंत बाद ही बौद्ध नेता ने म्यांमार के नेता डे फक्टो, जो एक नोबेल शांति विजेता हैं, उनसे लिख कर इस मसले पर बात की है।
उन्होंने रिक्षिन में संकट को हल करने के लिए “समाज के सभी वर्गों तक पहुंचने” का आग्रह किया है, रोहिंग्या, जो एक मुस्लिम माइनॉरिटी राज्य है, वहां लोगों ने बहुत दुःख दर्द झेला है।
उन्होंने पत्र में लिखा था, “मेरे लिए जो प्रश्न पूछे गए हैं जिनका सुझाव मुझे मिला है कि कई लोगों को मुस्लिमों के साथ एक बौद्ध देश के रूप में म्यांमार की प्रतिष्ठा के साथ क्या हो रहा है, यह समझने में कठिनाई होती है”।
“मैं आपको और आपके साथी नेताओं से अपील करता हूं कि समाज के सभी वर्गों तक पहुंचने के लिए शांति और सामंजस्य की भावना में जनसंख्या भर में मैत्रीपूर्ण संबंध बहाल करने का प्रयास किया जाए।”
नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई और आर्चबिशप डेसमंड टूटू ने भी रोहिंग्या की ओर से समाधान निकालने का आग्रह किया है। म्यांमार की आबादी बौद्ध से भरी हुई है और रोहंग्या की ओर कुछ ज्यादा ही दुश्मनी है, जिन्हें नागरिकता से वंचित किया गया है और अवैध “बांग्ला” आप्रवासियों का लेबल लगाया गया है।
दलाई लामा ने कहा कि उन्होंने अपने देश में धार्मिक तनाव के बारे में सुई से बात की थी और हिंसा को रोकने के लिए उन्हें वह फिर से आग्रह कर रहे हैं।
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