नई दिल्ली: दस हजार रुपये मानदेय से असंतुष्‍ट शिक्षामित्रों ने राजधानी के जंतर मंतर पर विशाल प्रदर्शन किया। तकरीबन सवा लाख शिक्षामित्रों के यहां पहुंचने से आसपास के इलाके में जाम की स्थिति बन गई। ट्रेनों और बसों से इतनी बड़ी संख्या में शिक्षामित्रों के पहुंचने से पुलिस प्रशासन की सांस फूल गई। सुबह आठ बजे ही जंतर मंतर पर हजारों की भीड़ के बाद प्रशासन ने बैरीकेडिंग लगाकर जंतर मंतर के चारों तरफ की सड़कों को अवरुद्ध कर दिया।

शिक्षा मित्रों में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ आक्रोश साफ दिख रहा था। राजधानी में यूपी के दूर-दूर के इलाकों से शिक्षा मित्र बसों, ट्रेनों और अन्य वाहनों से भरकर जंतर मंतर पर जुटे हैं। जंतर मंतर की सड़क पूरी भर जाने के बाद आसपास के फुटपाथ में भी सभी प्रदर्शन के लिए बैठ गए। बीती 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द करने के बाद प्रदेश भर के शिक्षामित्र सड़क पर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 1.36 लाख शिक्षामित्रों की सहायक अध्यापक के रूप में नियमितीकरण को गैरकानूनी ठहरा दिया था।

इसके बाद उन्‍हें योगी सरकार से अच्‍छे वेतन पर शिक्षामित्र के रूप में ही बहाल रखने की उम्‍मीद थी। प्रदेश सरकार की तरफ से आश्वासन के बावजूद कोई कार्यवाही न होने से शिक्षामित्रों में आक्रोश व्याप्त हो गया।
प्रदर्शन में शामिल उत्‍तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के अध्‍यक्ष गाजी इमाम आला ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने बनारस में एक रैली में कहा था कि शिक्षामित्र आत्‍महत्‍या न करें। प्रदेश के शिक्षामित्रों की समस्‍या उनकी अपनी समस्‍या है जिसका समाधान किया जाएगा। आला ने कहा कि यूपी में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद शिक्षामित्रों को कोई पूछ नहीं रहा है। अब तक प्रदेश में करीब 50 शिक्षामित्र आत्‍महत्‍या कर चुके हैं, आगे भी ऐसे हालात बन रहे हैं।

प्रदर्शन में आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने कहा कि तकरीबन एक लाख शिक्षामित्र दिल्ली इकट्ठा हुए हैं। हम चार दिनों तक सभी यहीं प्रदर्शन करेंगे, अगर हमारी मांग नहीं मानी गई तो आगे प्रदर्शन को और तेज करेंगे।

शिक्षामित्रों का समायोजन 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द कर दिया गया है। वहीं उन्हें टीईटी पास करने के बाद ही भर्ती में मौका देने की बात भी फैसले में है। लेकिन शिक्षामित्र लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि केन्द्र सरकार कानून में संशोधन कर उन्हें समायोजित कर सकती है। वहीं वे शिक्षक बनने तक समान कार्य और समान वेतन की मांग पर अड़े हैं। शिक्षामित्रों का समायोजन अखिलेश सरकार में हुआ था. उनका वेतन 39 हजार रुपये प्रतिमाह तक पहुंच गया था, लेकिन समायोजन रद्द होने के बाद वे फिर से पुराने 35 सौ रुपये के मानदेय पर आ गए जिसे योगी सरकार ने 10 हजार रुपये कर दिया जो शिक्षामित्रों को मान्य नहीं है।