नई दिल्ली: स्वामी विवेकानंद के शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन को संबोधित करने के 125 वर्ष पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विवेकानंद कहते थे जनसेवा ही प्रभुसेवा है. उस समय के समाज की कल्पना कीजिए जब पूजा-पाठ और परंपराओं की समाज में पैठ थी. ऐसे समय में 30 साल का नौजवान यह कह दे कि मंदिर में बैठने से भगवान नहीं मिलने वाला. समाज सेवा करने से भगवान मिलेगा.

उन्होंने आगे कहा कि विवेकानंद कभी जीवन में गुरु खोजने के लिए नहीं निकले थे. वे सत्य की तलाश में थे. महात्मा गांधी भी जीवन भर सत्य की तलाश में जुटे थे.

पीएम मोदी ने आगे कहा कि क्या हम महिलाओं का सम्मान करते हैं? क्या लड़कियों के प्रति आदर भाव से देखते हैं, जो देखते हैं उन्हें मैं सौ बार नमन करता हूं. वह सिर्फ उपदेश देने वाले नहीं थे, उन्होंने आइडिया को क्रियान्वित भी किया. रामकिशन मिशन का जिस भाव से जन्म हुआ आज इतने सालों बाद भी यह आंदोलन उसी भाव से चल रहा है.

पीएम ने कहा- क्या हम अपने आपको गंगा को गंदा करने से रोक पाते हैं?. क्या विवेकानंद होते तो हमें नहीं डांटते. हम सफाई करें या न करें, लेकिन गंदा करने का हक हमें नहीं है. हम स्वस्थ इसलिए नहीं हैं कि अच्छे अस्पताल और डॉक्टर हैं, हम स्वस्थ इसलिए हैं क्योंकि सफाईकर्मी सफाई कर रहे हैं. क्या हमें वंदे मातरम कहने का हक है. हम धरती पर कचरा फेंके और वंदे मातरम बोलें? इस पर सबसे पहला हक सफाईकर्मचारियों का है. पान की पिचकारी मारने वालों को वंदेमातरम कहने का हक नहीं है. इसलिए हमने कहा है कि पहले शौचालय फिर देवालय. पीएम ने मजाकिया अंदाज में कहा कि बहुत लोगों ने इस पर मेरे बाल नोंच लिए. लेकिन इस पर आज मुझे खुशी है कि देश में ऐसी बेटियां हैं, जो शौचालय नहीं तो शादी नहीं कह रही हैं.

पीएम मोदी बोले- विवेकानंद ने अपनी वाणी से लोगों को अभिभूत कर दिया था. वरना हमारे देश के बारे में कहा जाता था कि यह तो सांप-सपेरों का देश है. एकदशी को क्या खाना है और क्या नहीं खाना. यही सोचा जाता था. विवेकानंद ने बताया कि नहीं हम यह नहीं हैं. यह सिर्फ हमारी व्यवस्था का हिस्सा है. अरे हमारे यहां तो भीख मांगने वाला भी तपो ज्ञान से भरा होता है, वह कहता है जो न दे उसका भी भला, जो दे उसका भी भला.