लखीमपुर-खीरी: बर्मा (म्याँमार) के रखाइन प्रान्त में अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार के खिलाफ सद्भावना छात्र-युवा संगठन ने बर्मा सरकार का झण्डा फूंक कर विरोध प्रदर्शन किया और संयुक्त राष्ट्र से बर्मा में शान्ती सेना भेजने व रेंहग्या सरणार्थियों की समस्या का समाधान करने की मांग की।

प्रदर्शन के दौरान सद्भावना छात्र-युवा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मुश्ताक अली अंसारी ने कहा कि दुनिया भर में साम्प्रदायिक फासीवाद चरम पर है साम्प्रदायिक फासीवादी ताकतें विभिन्न देशों में अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही हैं, भारत में जहां गौ रक्षा के नाम पर हत्यायें की जा रही हैं प्रगतिशील बुद्धिजीवी, पत्रकारों का कत्ल-ए-आम जारी है। जिस तरह हिटलर ने जर्मनी में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान साठ लाख यहूदियों की हत्या की थी उसी तरह पड़ोसी बर्मा देश में अल्पसंख्यक रोहंग्या समुदाय पर बर्मा की सेना और वहां के साम्प्रदायिक फासीवादी भिक्षु असीन विरथू के संगठन द्वारा लगातार मुस्लिमों के खिलाफ सफाया अभियान चलाया जा रहा है, दो लाख सत्तर हजार रोंहग्या पलायन को बाध्य हुए हैं। 2600 से अधिक घरों को फूंका गया है, और 2010 से उनकी नागरिकता समाप्त करके अब तक पचास हजार रोंहग्या मुस्लिमों की हत्यायें की गयी हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ को तत्काल शान्ती सेना भेजनी चाहिए। भगत सिंह अम्बेडकर विचार मंच के संयोजक सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि साम्प्रदायिक फासीवादी हमलो के खिलाफ देश और दुनिया भर के प्रगतिशील जनवादी ताकतों को एकजुट होकर मुकाबला करना होगा।

प्रदर्शन के दौरान मोहम्मद अकील, अली बहादुर, समी अहमद, पंडित शिव प्रसाद द्विवेदी, नाजिर अली, वाहिद अली, जियाउलहक, समीर सलमानी, मो0 शब्बीर खां, संजय वर्मा, रामजी, रविशंकर वर्मा आदि उपस्थित रहे।