श्यामन: चीन के जियामेन में प्रधानमंत्री मोदी ब्रिक्स व्यापार परिषद की बैठक में कहा कि माल और सेवा कर (जीएसटी) भारत के सबसे बड़े आर्थिक सुधार में से एक है। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रम भारत के आर्थिक परिदृश्य को बदल रहे हैं। ये कार्यक्रम भारत को ज्ञान आधारित, कौशल समर्थित टेक्नोलॉजी आधारित समाज में बदलने में मदद कर रहे हैं।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए ब्रिक्स देशों के बीच मजबूत भागीदारी का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उभरते हुये देशों के इस ब्लॉक ने सहयोग के लिए एक मजबूत ढांचा विकसित किया है और अनिश्चितता की तरफ बढ़ रही दुनिया में स्थिरता के लिए योगदान दिया है।

चीन के श्यामन शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की पूर्ण बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि व्यापार और अर्थव्यवस्था ब्रिक्स-ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका-देशों में सहयोग का आधार है। उन्होंने सुझाव दिया कि परस्पर सहयोग बढ़ाने के लिये कुछ कदम उठाए जा सकते हैं। उन्होंने विकासशील देशों की संप्रभु और कॉरपोरेट कंपनियों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ब्रिक्स रेटिंग एजेंसी बनाए जाने का भी आह्वान किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नवोन्मेष और डिजिटल अर्थव्यवस्था पर सदस्य देशों के बीच मजबूत भागीदारी विकास गतिविधियों को आगे ले जाने, पारदर्शिता को बढ़ाने और सतत विकास लक्ष्यों का समर्थन करने में मदद कर सकती है। उन्होंने सदस्य देशों के सेंट्रल बैंकों से अपनी क्षमताओं को और बढ़ाने और समूह तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की आकस्मिक विदेशी मुद्रा कोष व्यवस्था के बीच सहयोग को बढ़ावा देने का भी आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिक्स देश भारत और फ्रांस द्वारा नवंबर 2015 में शुरू किये गये अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़ (आईएसए) के साथ काम कर सकते हैं।

ब्रिक्स देशों ने सोमवार को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद जैसे पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों के साथ-साथ तालिबान, आईएसआईएस और अलकायदा के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने की मांग की। ब्रिक्स देशों के समूह ने सभी सरकारों से यह मांग की कि वे अपनी धरती पर आतंकी गतिविधियों और आतंकियों के वित्त पोषण को रोकने के लिए कदम उठाएं।

ब्रिक्स सम्मेलन के समग्र सत्र के अंत में जारी की गई श्यामन घोषणा में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मांग की गई कि वह एक विस्तृत अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद रोधी गठबंधन की स्थापना करे। ब्रिक्स समूह में शामिल देश हैं- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका। इस घोषणा में दोहराया गया कि आतंकी कृत्यों की साजिश रचने वालों, उन्हें अंजाम देने वालों और उन्हें समर्थन देने वालों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। घोषणा में मांग की गई कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा समग्र अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद समझौते को शीघ्रता से अंतिम रूप दिया जाए और इसे अंगीकार किया जाए।

विदेश मंत्रालय में पूर्वी देशों से जुड़े मामलों की सचिव प्रीती सरन ने कहा कि सम्मेलन में बोल रहे सभी ब्रिक्स नेताओं ने आतंकवाद पर गंभीर चिंताएं जाहिर कीं। ब्रिक्स नेताओं के इस सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर भारत की स्थिति को भी बयां किया और चरमपंथ से मुक्त करने के मुद्दे पर एक सम्मेलन आयोजित करने का प्रस्ताव दिया। आतंकवाद पर भारत की स्थिति को स्पष्ट करते हुए प्रीती सरन ने संवाददाताओं से कहा कि आतंकवाद एक ऐसी आपदा है, जिससे संपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मिलकर निपटा जाना चाहिए। मुझे लगता है कि अब यह अहसास बढ़ रहा है कि इस आपदा से निपटने में आप दोहरे मापदंड नहीं अपना सकते।

उन्होंने कहा, आप आतंकियों को अच्छे आतंकी और बुरे आतंकी के रूप में नहीं देख सकते। आतंकवाद के खिलाफ कावार्ई एक सामूहिक कावार्ई है। ब्रिक्स की घोषणा में कहा गया कि समूह ने ब्रिक्स देशों समेत विश्व भर के आतंकी हमलों की निंदा की। उसने आतंकवाद के हर रूप की निंदा की, फिर चाहे वह कहीं भी और किसी के भी द्वारा अंजाम क्यों न दिया गया हो।