रायपुर: मुस्लिम महिलाएं शरीयत कानून से खुश है और उनके लिए शरीयत कानून में जो प्रावधान है वह उससे पूरी तरह संतुष्ट है ,यह बात आज रायपुर मे पत्रकारों से आल इंडिया उल्मा मशायख बोर्ड (युवा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सय्यद आलमगीर अशरफ ने कही।
उन्होंने कहा कि हम न्यायालय के आदेश का सम्मान करते है लेकिन मुस्लिम महिलाएं इस फैसले से आहत है और उन्हें ही सबसे ज़्यादा दुख हुआ है ,उन्होंने कहा कि आल इंडिया उलेमा मशायख बोर्ड लोगों में जागरूकता लाने के लिए पूरे देश में मुहिम छेड़ेगा कि हमारे घर के मसले हम घर में ही आपसी रजामंदी से निपटा लें और वह कोर्ट तक पहुंचे ही न ।
उन्होंने कहा कि शरीयत के अनुसार एक साथ तीन तलाक़ दिये जाने के बाद निकाह टूट जाता है और हनफी मुस्लिम इसे मानते हैं यह कैसे हो सकता है कि गोली चले और किसी के सीने में लगे क्या जिसे गोली लगी वह नहीं मरेगा जबकि किसी की जान लेना कानून के अनुसार घोर अपराध है वैसे ही हम भी एक बैठक में तीन तलाक़ को हराम जानते है लेकिन यह भी उसी तरह हो जाती है जैसे मर्डर हो जाता है लेकिन इसकी रोकथाम के लिए सख्त कानूनी प्रावधान होना आवश्यक है ।
हज़रत मौलाना ने कहा कि मुल्क का मुसलमान शरीयत में बदलाव किए जाने की साज़िश को कभी कामयाब नहीं होने देगा , पर्सनल लॉ में बदलाव मुमकिन नहीं है लेकिन कौमी बेदरी की बहुत सख्त ज़रूरत है जिसके लिए आल इंडिया उलेमा मशायख बोर्ड बेदारी मुहिम चलायेगा।
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