पटना: सुशासन बाबू के राज में बैंक और एनजीओ के गठजोड़ से हुए घोटाले की रकम का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। जांच में पता चला है कि अब घोटाले की रकम बढ़कर 343 करोड़ रुपये हो गई है। भागलपुर के एनजीओ सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड आरोपों के घेरे में है। इस बीच एनजीओ की सचिव और उनका पति फरार है। हालांकि, पुलिस ने मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि इंडियन बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और ट्रेजरी से मिलकर फर्जी निकासी की गई है। अब सहकारिता बैंक के भी 48 करोड़ रूपए की फर्जी निकासी का मामला सामने आया है। इस बाबत भी शुक्रवार को कोतवाली थाना में एफआईआर दर्ज की गई है। इस लिहाज से कुल मिलाकर 343 करोड़ रुपये का चूना बिहार सरकार को लगाया जा चुका है। इससे पहले 295 करोड़ के घोटाले की बात सामने आई थी।

पटना से आकर भागलपुर में जांच का जिम्मा संभाल रहे आर्थिक अपराध शाखा के आईजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने तीन एफआईआर दर्ज करने और 295 करोड़ रुपए की गड़बड़ी की बात कबूली है। गंगवार के मुताबिक अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। माना जा रहा है कि उनमें भागलपुर के डीएम आदेश तितिरमारे के सहायक प्रेम कुमार भी शामिल हैं। आईजी ने बताया कि गिरफ्तार लोगों में जिला नजारत, भू-अर्जन विभाग और बैंक के अधिकारी और सृजन एनजीओ के प्रबंधक भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि नामों का खुलासा जल्द कर दिया जाएगा। आईजी पांच अफसरों के साथ बुधवार को भागलपुर हवाई जहाज से आए थे। तीन दिनों की गहन तहकीकात और पूछताछ के बाद शुक्रवार को पटना रवाना होने से पहले सर्किट हाउस में पत्रकारों को उन्होंने जांच की जानकारी दी।