उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला राहत की खबर लेकर आया है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि समायोजित किए गए 1.72 लाख शिक्षामित्रों को हटाया नहीं जाएगा। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा है कि शिक्षामित्रों के लिए टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) पास करना अनिवार्य होगा। कोर्ट ने भर्ती के लिए शिक्षामित्रों को दो मौके दिए हैं। उन्हें इन्हीं 2 मौकों में परीक्षा पास करनी होगी, इसमें उन्हें अनुभव का भी वेटेज मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों का सहायक शिक्षकों के तौर पर समायोजन हुआ था उन्हें परीक्षा पास करने के 2 मौके मिलेंगे। बता दें उत्तर प्रदेश में 1.72 लाख शिक्षामित्रों को समायोजित किया जाना है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शिक्षामित्रों के समायोजन को रद्द कर दिया था जिसके खिलाफ शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों की तरफ से सलमान खुर्शीद, जयंत भूषण, नितेश गुप्ता, अमित सिब्बल, आरएस सूरी समेत कई वरिष्ठ वकीलों ने दलीलें पेश कीं। सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाते हुए वकीलों ने कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर शिक्षामित्रों को राहत दें। ज्यादातर वकीलों ने यह दलील दी कि शिक्षामित्र काफी वर्षों से काम कर रहे हैं, लेकिन अब उनका भविष्य अधर में है। साथ ही कोर्ट ने टेस्ट पास कर चुके 72 हजार शिक्षकों को भी राहत दी है। बीए और टीईटी पास करने वाले शिक्षामित्र भी अपने शिक्षक पद पर बने रहेंगे।