विधानसभा में कथित विस्फोटक मामले में बिना तथ्यों के बयानबाजी करने वालों की भूमिका की हो जांच

लखनऊ। रिहाई मंच ने यूपी की विधानसभा में पिछले एक हफ्ते से कथित विस्फोटक पदार्थ के नाम पर चल रहे पूरे हंगामें की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए बिहार-झारखंड में सक्रिय इंसाफ इंडिया को प्रतिबंधित संगठन सिमी से जोड़े जाने की खुफिया रिपोर्टों को साजिश करार दिया है। मंच ने वाराणसी में मस्जिद की जमीन पर भाजपा विधायक के करीबी द्वारा निर्माण को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय के ऊपर मुकदमा दर्ज करने पर भी आपत्ती दर्ज की है।

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि जिस तरह से पिछले दिनों विधानसभा में पीईटीएन नाम के किसी विस्फोटक पदार्थ के मिलने की बात कहकर अब उसे महज अफवाह कहा जा रहा है वह साबित करता है कि सरकार खुद एक अफवाह तंत्र संचालित करती है। इसी तंत्र ने मीडिया में झूठे टेप व फर्जी खबरें प्रसारित करा कर इस मामले के बहाने एक समुदाय विशेष के खिलाफ जनमत बनाने का काम किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जो जांच एजेंसियां आतंकवाद के नाम पर गिरफ्तारियां और घटनाओं को रोकने की बात करती हैं उनकी भी कलई खुल गई की जो एक पदार्थ की जांच नहीं कर सकतीं वो देश विरोधी ताकतों से कैसे निपट सकती हैं। उन्होंने कहा कि यही वो एजेंसियां हैं जो आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को अपनी झूठी जांच के दावों पर जेलों में संड़ा देती हैं और असली गुनहगार कभी पकड़े ही नहीं जाते। उन्होंने कहा कि इस जांच में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी शामिल करना चाहिए क्योंकि विधानसभा में मौजूद वही एक मात्र शख्स हैं जिनका नाम अजमेर धमाकों के आरोपियों ने भी अपने पूछताछ में एनआईए के सामने लिया है।

मंच के अध्यक्ष ने कहा कि जिस तरह से विधानसभा में विस्फोटक मिलने की बात कहकर विधायक तक की पूछताछ को मीडिया में छापा जा रहा था उससे साफ था कि यह सरकार सुरक्षा के नाम पर आतंकवाद का ऐसा हौव्वा खड़ा करना चाहती थी जिससे कि कानून-व्यवस्था, शिक्षा-चिकित्सा जैसे मूलभूत सवालों पर फेल सरकार पर कोई सवाल न उठ सके। उन्होंने सवाल किया कि आखिर मोदी-योगी की सुरक्षा के खतरे को लेकर कोई टेप मीडिया में आ जाता है तो उसे सिर्फ फर्जी कहकर नहीं टाला जा सकता बल्कि उस फर्जी टेप को प्रसारित कर जो राजनीतिक षडयंत्र रचा जा रहा है उसका पर्दाफाश भी जरुरी है। उन्होंने कहा कि हिंदू युवा वाहिनी जिसकी सरकार बनने के बाद गतिविधियां चर्चा में रही हंै उसके कार्यकर्ता भी ऐसा पूर्व में करते रहे हैं। ठीक इसी प्रकार अयोध्या के महंत नृत्य गोपाल दास को धमकी भरा खत मिलने की बात भी कुछ साल पहले आई थी जिसपर भगवा संगठनों ने बवाल भी काटा था। लेकिन इस मामले में भी हिंदू युवा वाहिनी का स्थानीय नेता ही पकड़ा गया जो खुद इसके खिलाफ आंदोलन भी चला रहा था।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि बिहार-झारखंड में सक्रिय इंसाफ इंडिया को प्रतिबंधित संगठन सिमी से जोड़कर खुफिया के हवाले से मीडिया में खबरें प्रसारित करवाना साफ करता है कि सरकारें इंसाफ पसंद तंजीमों से खौफ खाती हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों इसी तरह से पटना के यूथ हाॅस्टल की एक बैठक को माओवादियों की बैठक कहकर छोपमारी की गई और झारखंड के गोड्डा जिले में युवओं की एक बैठक को शांति व्यवस्था को खतरा बताते हुए मुकदमा दर्ज किया गया। पिछले दिनों ठीक इसी तरह सहारनपुर में दलित हिंसा का विरोध करने पर भीम सेना को नक्सल से जोड़ने की कोशिश की थी खुफिया एजेंसियों ने। यह घटनाएं बताती हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर लोकतांत्रिक प्रगतिशील संगठनों का चरित्र देशद्रोही साबित करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि जो खुफिया एजेंसियां इंसाफ इंडिया जैसे संगठनों को लेकर इनपुट दे रही हैं उनका कभी कोई इनपुट आरएसएस, बजरंगदल, हिंदू युवा वाहिनी सरीखे संगठनों के लिए नहीं आता। उनका नाम तो तब आता है जब कानपुर या नांदेड में उनके कार्यकर्ता बम बनाते हुए उड़ जाते हैं।

रिहाई मंच ने वाराणसी में मस्जिद की जमीन को लेकर उपजे विवाद जिसमें स्थानीय भाजपा विधायक के एक करीबी अधिवक्ता द्वारा कब्जाई जमीन पर निर्माण को लेकर विवाद हुआ जिसका विरोध करने पर बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय के लोगों की गिरफ्तारी और फर्जी मुकदमें दर्ज किए गए का विरोध किया है। मंच ने कहा कि अगर जमीन विवादित थी तो उस पर निर्माण कोर्ट की अवमानना है और उसे रोकना पुलिस का काम है जो वह नहीं कर रही है। उल्टे मुकदमें दर्ज कर वह भूमाफियाओं का संरक्षण कर रही है कि वह जमीन कब्जाएं उसका विरोध करने वालों को हम देख लेंगे।