नई दिल्‍ली: जल्द ही आईपीएस अधिकारियों को पदोन्नति पाने के लिए अपना मोटापा कम करना पड़ सकता है. दरअसल, केंद्र सरकार इन अधिकारियों की पदोन्नति को उनकी फिटनेस से जोड़ने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है.

गृह मंत्रालय ने आईपीएस अधिकारियों की पदोन्नति से पहले एक अनिवार्य कदम के रूप में उनकी शारीरिक फिटनेस की सिफारिश की है, जिसके बाद यह कदम उठाया गया है.

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने इस सिफारिश को शामिल करने के लिए मसौदा सेवा नियमों को अंतिम रूप दिया है. इसने सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों के प्रशासकों से अपनी टिप्प्णी देने को कहा है.

मसौदा नियमों में कहा गया है, 'विभिन्न पदों पर आईपीएस अधिकारियों की प्रमोशन शारीरिक फिटनेस पर निर्भर होगी, जो समय-समय पर गृह मंत्रालय के द्वारा जारी निर्देशों के अनुरूप हो सकती है'. गौरतलब है कि मौजूदा नियमों में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. सेवा की आवश्यक अवधि पूरी करने के बाद उन्हें विभिन्न स्तरों और ग्रेड पर पदोन्नति मिलती है.

सिफारिशों में कहा गया है कि आईपीएस अधिकारियों के लिए इस तरह की फिटनेस से जुड़ी पदोन्नति अगर लागू होती है, तो यह केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के ग्रुप 'ए' अधिकारियों के समान होगी.

आईपीएस अधिकारियों को खुफिया, आर्थिक अपराध, साइबर अपराध, वीआईपी या औद्योगिक सुरक्षा, उग्रवाद निरोध और आतंकवाद निरोध जैसे तीन कार्य क्षेत्रों (डोमेन) में विशेषज्ञता हासिल करनी होगी. डीओपीटी के मसौदा नियमों के मुताबिक, गृह मंत्रालय को आईपीएस अधिकारियों के लिए विशेषज्ञता प्रशिक्षण कार्यक्रम की जरूरत महसूस हुई है. मंत्रालय ने प्रस्ताव किया है आईपीएस अधिकारी को डीआईजी, आईजी और एडीजी के पद पर पदोन्नति से पहले तीन कार्य क्षेत्रों में विशेज्ञता प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करना चाहिए. मंत्रालय ने 20 कार्य क्षेत्रों की पहचान की है.

ये नियम यह सुनिश्चित करने के लिए बनाए जा रहे हैं कि आईपीएस अधिकारी अपना प्रोबेशन समय पर पूरा करें.

डीओपीटी के प्रस्ताव में कहा गया है, 'गृह मंत्रालय का मानना है कि कई आईपीएस अधिकारी दो साल के तय समय में अपना प्रोबेशन पूरा नहीं कर पाते हैं, लेकिन जिस बैच में उनकी भर्ती हुई होती है, उसी के मुताबिक उन्हें वरिष्ठता का लाभ दे दिया जाता है'.