मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मण्डी परिषद संचालक मण्डल की बैठक सम्पन्न

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राज्य सरकार के लिए किसानों का हित सर्वाेपरि है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार हर सम्भव कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने में मण्डियों की बड़ी भूमिका है। इसलिए मण्डियों की कार्यप्रणाली सरल, पारदर्शी, भ्रष्टाचारमुक्त, तकनीक आधारित एवं किसान फ्रेण्डली होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मण्डी परिषद द्वारा दिये जाने वाले अनुदानों का लाभ किसानों को मिलना चाहिए, न कि बिचैलियों को। मण्डी परिषद द्वारा किसानों के हित में बनायी जाने वाली योजनाएं पूरे राज्य को ध्यान में रखकर बनायी जानी चाहिए।

मुख्यमंत्री आज यहां शास्त्री भवन में मण्डी परिषद संचालक मण्डल की 153वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस मौके पर वर्ष 2017-18 में राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद के विभिन्न कार्यों एवं योजनाओं के लिए 2149.47 करोड़ रुपये बजट की स्वीकृति प्रदान की गयी। जिसमें 594.77 करोड़ रुपये की धनराशि मण्डी स्थलों के निर्माण, मरम्मत, विस्तार एवं आधुनिकीकरण के लिए प्रस्तावित की गयी है। इसमें अवशेष कार्याें के लिए 235.77 करोड़ रुपये और नये कार्याें के लिए 359 करोड़ रुपये का प्राविधान है। जनेश्वर मिश्र ग्राम योजना के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री जी ने अधिकारियों को भुगतान से पूर्व कार्याें का सत्यापन करा लिये जाने के निर्देश दिये।

मण्डी परिषद के 2017-18 के आय-व्ययक में सम्पर्क मार्ग मरम्मत हेतु 655 करोड़ रुपये, मण्डी समितियों के अधिष्ठान तथा आवश्यक खर्चाें हेतु अनुदान के लिए 365 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। साथ ही बुन्देलखण्ड पैकेज के तहत नवीन कार्याें हेतु 14.52 करोड़, किसान बाजार योजना में नये कार्याें के लिए 10 करोड़ तथा मण्डी समितियों के लिए भूमि क्रय करने एवं प्रतिकर हेतु 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

इस मौके पर निदेशक मण्डी परिषद द्वारा मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि वित्तीय वर्ष 2017-18 के प्रथम दो माह में गत वर्ष की तुलना में 31 मई, 2017 तक कुल आय में 36.48 करोड़ रुपये अर्थात 19.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

मुख्यमंत्री ने यह निर्देश भी दिये कि परिषद द्वारा संचालित छात्रवृत्ति योजना के लिए पारदर्शी नीति बनाकर छात्रों के चयन के मानक तय किये जाएं। यु सुनिश्चित किया जाए कि जरूरतमन्द छात्रों को छात्रवृत्ति योजना का लाभ प्राप्त हो। उन्होंने यह निर्देश भी दिये कि परिषद में खराब कार्य निष्पादन वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाए।

योगी ने मण्डी परिषद के अधिकारियों को निर्देशित किया कि मण्डी परिषद द्वारा निर्मित सड़कों को समयबद्ध ढंग से, गुणवत्ता के साथ गड्ढामुक्त करने का कार्य प्राथमिकता पर किया जाए। इस कार्य को पूर्ण करने के लिए आवश्यकता पड़ने पर परिषद द्वारा ऋण की भी व्यवस्था की जाए। बैठक में मण्डी परिषद द्वारा विगत वर्षाें में निर्मित कराये गये सम्पर्क मार्गाें को गड्ढामुक्तिकरण तथा मरम्मत कराये जाने के लिए मण्डी परिषद की प्रचलित व्यवस्था को शिथिल करते हुए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समितियों के अधिकार के प्रतिनिधायन के सम्बन्ध में कार्याेत्तर स्वीकृति के प्रस्ताव को भी अनुमोदित किया गया है।

बैठक में मण्डी परिषद द्वारा कराये जाने वाले निर्माण कार्याें, सेवाओं व अन्य सभी प्रोक्योरमेण्ट हेतु आई०टी० एवं इलेक्ट्राॅनिक विभाग के 12 मई, 2017 के ई-टेण्डरिंग व ई-प्रोक्योरमेण्ट के शासनादेश को अंगीकृत करने, मण्डी समितियों को ई-मण्डी के रूप में विकसित करने तथा डिजिटल पेमेण्ट व्यवस्था प्रोत्साहित करने के लिए उ०प्र० कृषि उत्पादन मण्डी नियमावली 1965 के उप नियम-4 में संशोधन का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया। इसके अलावा, राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नैम) योजना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘एकीकृत लाइसेंस शुल्क’ की धनराशि कम करने के लिए नियमावली में संशोधन प्रस्ताव को भी अनुमोदित किया गया।
इसके अलावा, बाजार हस्तक्षेप योजनान्तर्गत आलू क्रय हेतु क्रियाशील पूंजी की आवश्यकता के लिए शासन के निर्णय के अनुसार मण्डी परिषद द्वारा कुल 4 करोड़ रुपये की धनराशि को शर्ताें के अधीन क्रियाशील पूंजी के लिए उपलब्ध कराने हेतु कार्याेत्तर स्वीकृति प्रदान की गयी।

इस अवसर पर कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार राज्य मंत्री स्वाति सिंह सहित राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद के संचालक मण्डल के अन्य सदस्य, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री तथा शासन-प्रशासन के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।