लखनऊ,: गरीबों के लिये केन्द्र सरकार की शुरू की गयी प्रधानमंत्री उज्जवला योजना काफी कारगर सिद्ध हुयी है। इस योजना का लाभ उठाने वाले परिवारों में एक नयी रोशनी आयी है और महिलाओं की जीवनशैली में काफी बदलाव आया है। उत्तर प्रदेश के 12 जिलों हरदोई, उन्नाव, सीतापुर, रायबरेली, देवरिया, कुशीनगर, चंदौली, बलिया, मेरठ, मुजफ्फरनगर, आगरा और मथुरा में अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय समावेशन फर्म माइक्रोसेव के द्वारा किये गये सर्वेक्षण रिपोर्ट में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना लाभार्थियों के लिये बेहद संतोषजनक पायी गयी है। यहां माइक्रोसेव के एशिया पैसिफिक के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री मनोज शर्मा ने सर्वेक्षण रिपोर्ट के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि यह सर्वेक्षण पूरी तरह से एलपीजी वितरकों, ग्रामीण प्रतिनिधियों और प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के लाभार्थियों एवं गैर लाभार्थियों के साथ हुये साक्षात्कारों पर आधारित है, और इस सर्वेक्षण में सामने आया है कि केन्द्र सरकार ने इस योजना को इस तरह से डिजायन किया था कि जो एसईसीसी डेटाबेस का प्रयोग करते हुये सबसे योग्य लाभार्थियों तक पहंुच सके। दस से पन्द्रह दिनों तक आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के साथ इस योजना के तहत नये आवेदकों का नामांकन बेहद आसान था।

श्री शर्मा ने माइक्रोसेव द्वारा किये गये सर्वेक्षण का जिक्र करते हुये बताया कि इस योजना का लाभ उठाने वाले परिवारों की महिलायें जो अक्सर खाना बनाने के दौरान बायो मास ईधन के इस्तेमाल के कारण आंखों में जलन, खांसी, माइग्रेन आदि की शिकायत करती थी, जो एलपीजी स्टोव के प्रयोग करने से उनकी यह समस्या का समाधान हुआ है। इसके साथ ही सर्वेक्षण में जो बाते सामने आयी है उनमें बायोमास ईधन की कमी गांवों में जलाने वाले लकड़ी की कमी और इस लकड़ी को गांव में इकट्ठा करने से जुड़े जोखिम एलपीजी के इस्तेमाल को प्रोत्साहित कर रहे है। सबसे खास बात सामने यह आयी है कि एलपीजी के प्रयोग करने से महिलायें घर के अन्य कामों और मनोरंजन गतिविधियों के लिये निकाल रही है। यही नहीं महिलाओं को लगता है कि उनका घर ज्यादा साफ है। अब घर में वह धुआं नहीं होता जो पहले लकड़ी कोयला जलाने से होता था। इसके अलावा बर्तनों, छतों पर धुएं के निशान नहीं बनते इसका सकारात्मक असर घर के सदस्यों के स्वास्थ्य पर भी पड़ा है।