भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के गिरने का चीन की मीडिया द्वारा मजाक बनाया गया। चीन के ग्लोबल टाइम्स अखबार में लिखा गया कि भारत अपने ‘खुद के बनाए’ लक्ष्यों की तरफ चल रहा है। इसके साथ ही लेख में नोटबंदी को भी एक ‘बेकार’ बदलाव बताया गया। इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, ग्लोबल टाइम्स में लिखा है, ‘ऐसा लगता है कि हाथी और ड्रेगन की रेस में भारत को तगड़ा झटका लगा है। इसकी वजह से चीन दोबारा से पहली तिमाही में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया।’ यह आर्टिकल जियो जिन नाम के पत्रकार द्वारा लिखा गया है।

ग्लोबल टाइम्स चीन की सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी का मुखपत्र है। इसमें आगे नोटबंदी का जिक्र करते हुए लिखा गया, ‘नोटबंदी ने भारत की अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान पहुंचाया यह साफ हो गया है। सरकार को नवबंर में किए गए बदलाव (नोटबंदी) को करने से पहले दो बार सोचना चाहिए था। क्योंकि, भारत में आम नागरिक नकदी के दम पर ही सारे काम करता है।’

लेख में सलाह भी दी गई कि अगर भारत निजी निवेश को बढ़ावा देना चाहता है तो उसे अपनी नीतियों में बदलाव करना होगा। लिखा गया है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो भारत अपने लक्ष्यों को भी पूरा नहीं कर पाएगा। चीन में हुए वन बेल्ट एंड रोड फोरम में भारत नहीं गया था। उसका जिक्र करते हुए लेख में लिखा गया है कि भारत के फोरम में मौजूद होने से भी कार्यक्रम की सफलता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

हाल में आए आंकड़ों के मुताबिक, देश की जीडीपी 2016-17 में घटकर 7.1 फीसद पर आ गई है। इसके लिए नोटबंदी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि उनको खराब अर्थव्यवस्था ‘विरासत’ में मिली थी जिसको अब पटरी पर लाया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि जीडीपी में आई गिरावट के नोटबंदी को जिम्मेदार ठहराना गलत है।