लखनऊ : नेशनल यूनानी डाॅक्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (NUDWA) की एक दिवसीय संगोष्ठी ‘‘रमजान और डायबिटीज’’ विषय पर होटल जेमिनी काॅन्टीनेन्टल में सम्पन्न हुई जिसके प्रमुख वक्ता डाॅ0 कौसर उसमान, प्रोफेसर मेडिसिन विभाग, किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। डाॅ0 उस्मान ने बताया कि रोजा रखना आपकी एक निजी राय है। डायबिटीज के मरीजों को रोजे में बहुत ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। डाइबिटीज के मरीज दिन में दो बार से ज्यादा इन्सुलिन लेते हैं। अगर डायबिटीज कन्ट्रोल से बाहर रहती है तथा HbA1C10 प्रतिशत से ज्यादा हो तो आपको डायबिटीज की दुश्वारियाँ जैसे दिल, गुर्दे, आँख की बीमारी या पैरों में घाव हो तथा हाथ पैरों की नसों में कमजोरी महसूस हो तो आपको रोजा रखने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर लेना चाहिए। डा0 उस्मान ने बताया डायबिटीज के मरीजों को इन बातों पर जरूर ध्यान देना चाहिए। शुगर कम करने की जो दवा ले रहे हैं उनके समय में बदलाव करना चाहिए ताकि शुगर लेवेल मेन्टेन रहे। शुगर की जाँच कराते रहना चाहिए। जाँच कराने से रोजा नहीं टूटता। अगर आपका शुगर लेबल 60mg/dl से कम हो और 300mg/dl से ज्यादा हो तो रोजा खत्म कर दे और इसका इलाज करायें।

अगर आप बीमार या बदहवास या चक्कर आना महसूस करें तो रोजा खत्म कर दें व पानी या शर्बत पियें। डायबिटीज के मरीज जो इन्सुलीन ले रहे हैं उसका इस्तेमाल बन्द न करें इन्सुलिन की मात्रा और समय बदलने की जरूरत होती है डाक्टर से सलाह लेते रहें।

डाॅ0 मोईद अहमद, राष्ट्रीय अध्यक्ष, नुडवा ने बताया कि सन् 2014 से लेकर कई सालों तक रमजान गर्मियों में पड़ेंगे जिससे हर दिन लगभग रोजा 15 घण्टे से ज्यादा का होगा। ज्यादा वक्त का रोजा आपको हाईपोग्लाइसीमिया या डिहाईडेªेशन में ला सकता है जिससे आप बीमार हो सकते हैं। ऐसे मरीजों को डाक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

डाॅ0 राशिद इकबाल, अध्यक्ष, नुडवा, लखनऊ ने बताया कि डायबिटीज के मरीजों को रोजे में बहुत ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। अगर जो डायबिटीज के मरीज नियमित रूप से व्यायाम कर रहे है उनको व्यायाम डाक्टर की सलाह से करनी चाहिए ताकि सुगर लेबल कम न हो। तराबी पड़ना अपने आप में एक व्यायाम है।

डा0 अतीक अहमद ने बताया कि रोजेदारों को सहरी में फाइबर डाईट लेनी चाहिए जो इनर्जी को बनाये रखता है जैसे दलिया, कई अनाज को मिलाकर पिसा हुआ आटा, फल और सब्जियाँ वगैरह ले सकते हैं। समोसे, पराठे, पकौड़े तथा तली हुई चीजों से परहेज करना चाहिए। पानी अधिक से अधिक मात्रा में पीना हितकर होगा।

डा0 नाजिर अब्बास, महासचिव, नुडवा, लखनऊ ने बताया कि शहरों में डायबिटीज के 10 से 15 प्रतिशत तथा ग्रामीण इलाकों में 5 से 10 प्रतिशत मरीज हैं। बिना डाक्टर की सलाह के रोजा रखना खतरनाक हो सकता है। अतः ग्रामीण क्षेत्र में जो डाक्टर प्रैक्टिस कर रहे हैं उनको अपने मरीजों के बारे में और अधिक जागरूक करने की जरूरत है।

अन्त में आये हुए सभी चिकित्सकों का धन्यवाद दिया। इस मौके पर डाॅ0 सलमान खालिद, डाॅ0 मुजतबा उस्मानी, डाॅ0 आसिफ अली, डाॅ0 अशरफ, डाॅ0 अतीक अहमद, डाॅ0 रईस अहमद, डाॅ0 मुगीर, डाॅ0 अहमद रजा, डाॅ0 शीरी, डाॅ0 शाइस्ता, डाॅ0 निहाल अहमद, डाॅ0 गुलाम मुजतबा, डाॅ0 सैफ, डाॅ0 मो0 सिद्दीक प्रमुख रूप से मौजूद रहे।