भाजपा सांसद परेश रावल का विवादित बयान

नई दिल्ली: भाजपा सांसद परेश रावल ने आज यह टिप्पणी करके विवाद पैदा कर दिया कि किसी पत्थरबाज की बजाय जानीमानी लेखिका अरूंधति रॉय को भारतीय थलसेना की जीप से बांधना चाहिए. रावल ने कश्मीर की एक घटना के संदर्भ में यह विवादित टिप्पणी की जिसमें सुरक्षाकर्मियों ने एक भीड़ के खिलाफ मानव कवच के तौर पर एक प्रदर्शनकारी का इस्तेमाल किया था. भाजपा और कश्मीर घाटी में थलसेना की कार्रवाइयों की मुखर आलोचक रहीं अरूंधति पर निशाना साधते हुए बॉलीवुड अभिनेता रावल ने ट्वीट किया, ‘थलसेना की जीप पर पत्थरबाज को बांधने की बजाय अरूंधति रॉय को बांधें।’ सोशल मीडिया पर सक्रिय कई लोगों ने रावल के इस ट्वीट की निंदा की. कुछ लोगों ने उन पर हिंसा भड़काने की कोशिश करने का आरोप लगाया. यह भी पढ़ें- कश्मीर में पत्थरबाज युवक को जीप में बांधने वाले मेजर को सेना प्रमुख ने किया सम्मानित

जब एक समर्थक ने सुझाव दिया कि बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका अरूंधति की बजाय एक महिला पत्रकार से ऐसा ही सलूक किया जाना चाहिए, तो रावल ने जवाब दिया, ‘हमारे पास काफी विकल्प हैं.’ कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर निशाना साधते हुए सवाल किया, ‘क्यों न उस शख्स को (बांधा जाए) जिसने पीडीपी-भाजपा गठबंधन कराया ?’ बहरहाल, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने रावल के ट्वीट से भाजपा को अलग करने की कोशिश में ट्वीट किया, ‘हम कहीं भी, किसी भी तरह से किसी की ओर से देश के किसी व्यक्ति के खिलाफ दिए जाने वाले हिंसक संदेश का समर्थन नहीं करते’ बहरहाल, पार्टी के एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि उन्होंने रावल का ट्वीट नहीं देखा है और ऐसे में उनकी ओर से दिया जाने वाला जवाब पूरी तरह सही और जानकारी आधारित नहीं होगा. कई दक्षिणपंथी समर्थकों ने रावल की टिप्पणियों का समर्थन करते हुए आरोप लगाया कि अरूंधति देश विरोधी हैं.

फिल्म अभिनेता एवं भाजपा सांसद परेश रावल द्वारा लेखिका अरूंधति राय के बारे में की गयी ताजा टिप्पणी की पृष्ठभूमि में कांग्रेस ने कहा कि देश में असहमति के अधिकार को छीना जा रहा है. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने परेश रावल की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर संवाददाताओं से कहा, यह मामला इस बात का नहीं है कि किसी ने किसी अन्य के बारे में क्या कहा. मुझ सहित कई लोग अरूंधति राय की बहुत सारी बातों से सहमत नहीं हैं. बिल्कुल सहमत नहीं हैं. उन्होंने कहा, वाल्टेयर की कहावत है कि जब मैं आपसे बुरी तरह से असहमत हूं तब आप खड़े होकर यह कहें कि मैं आपके असहमत होने के अधिकार का समर्थन करता हूं. लेकिन आज भारत से असहमति के इस अधिकार को खत्म किया जा रहा है. परोक्ष रूप से कम प्रत्यक्ष रूप से ज्यादा. उन्होंने कहा कि जब तक इस बात को नहीं समझा जाएगा, वर्ष प्रति वर्ष भारत की परिभाषा परिवर्तित होती रहेगी और विश्व के सबसे बड़े गणतंत्र का माथा शर्म से झुकने लगेगा.