लखनऊ: सहारनपुर समेत पूरे सूबे में हो रही जातीय-सांप्रदायिक हिंसा को लेकर लाटूश रोड स्थित रिहाई मंच कार्यालय पर बैठक हुई।

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि सहारनपुर में जिस तरह ठाकुर जाति के लोगों द्वारा महिलाओं-बच्चों तक के साथ नृशंस हिंसा की गई उसने योगी सरकार के मनुवादी एजेण्डे को एक बार फिर से बेनकाब कर दिया है। एक तरफ 2007 गोरखपुर की सांप्रदायिक हिंसा के अभियुक्त योगी आदित्यनाथ अपने प्रमुख सचिव से हाईकोर्ट में शपथ पत्र दिलवाते हैं कि उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता दूसरी तरफ इंसाफ की मांग कर रहे दलित नेताओं के ऊपर मुकदमा लादा जा रहा है। वक्ताओं ने कहा कि दलित नेताओं पर मुकदमा दर्ज कर सवर्ण सामंती ताकतों के मनोबल बढ़ाने का काम भाजपा सरकार कर रही है। जिस तरीके से पिछले एक-दो हफ्ते में संभल, मेरठ, जौनपुर के बदलापुर-खुटहन, टांडा, फैजाबाद के बीकापुर, इलाहाबाद के मेजा रोड, बलिया के रसड़ा समेत पूरे सूबे में जातीय-सांप्रदायिक हिंसा लगातार हुई उसने साफ कर दिया है कि योगी सरकार पूरे सूबे को जातीय वर्चस्व के अखाडे़ में तब्दील कर देना चाहती है। इसके खिलाफ संगठित होकर संघर्ष करने की जरुरत है। बैठक में तय किया गया कि आगामी रणनीति के लिए 16 मई मंगलवार को शाम 6 बजे पिछड़ा महासभा के कार्यालय पर बैठक होगी।

बैठक में रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब, रणधीर सिंह सुमन, एहसानुल हक मलिक, आरिफ मासूमी, सृजन योगी आदियोग, गुफरान सिद्दीकी, वीरेन्द्र गुप्ता, शिव नारायण कुशवाहा, विनोद यादव, राजेश यादव, तारिक शफीक, शम्स तबरेज, अनिल यादव, राजीव यादव शामिल रहे।