नई दिल्ली: आईसीसी के साथ टकराव के रास्ते पर खड़ी बीसीसीआई को तब बड़ा झटका लगा, जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासकों की समिति (सीओए) ने उसे चैंपियंस ट्रॉफी के लिए जल्द से जल्द टीम की घोषणा करने के निर्देश जारी किए. सीओए ने एसजीएम और टीम के सिलेक्शन को लेकर बीसीसीआई को मेल जारी किया है. सीओए का कहना है कि राजस्व मामले को लेकर एसजीएम की मीटिंग 7 मई को होनी है, लेकिन टीम के सिलेक्शन के लिए इतना इंताजार क्यों?

यही नहीं, मेल में लिखा है कि हमारा मानना है कि एसजीएम में कोई भी फैसला इस तथ्य पर होना चाहिए कि भारत आज की दुनिया में सबसे अच्छी टीम है. टीम इंडिया को अनिश्चितता और भ्रम से घिरे होने की बजाय एक सहायक वातावरण प्रदान किया जाना चाहिए. आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में टीम इंडिया की भागीदारी को लेकर नेगेटिव वातावरण बनाया जा रहा है. भारतीय टीम को ट्रॉफी एक बार फिर अपने नाम करने का मौका मिलना चाहिए.

बता दें कि इससे पहले विनोद राय ने कहा था कि हां, हमने निर्देश जारी किए हैं कि आईसीसी राजस्व मॉडल से संबंधित कोई भी फैसला एसजीएम में लिया जाना चाहिए. लेकिन बीसीसीआई को कहा गया है कि वे हमारी स्वीकृति के बिना चैंपियंस ट्रॉफी से हटने का कानूनी नोटिस जारी नहीं कर सकते. दूसरी ओर, सीओए ने बीसीसीआई के स्टेट मेंबर्स को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर उन्होंने भारत के जून में होने वाली आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में न खेलने का समर्थन किया तो वो कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहें. सीओए की ये चेतवानी 7 मई को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की विशेष आम सभा (एसजीएम) के मद्देनजर आई है.

इतना ही नहीं अगर बीसीसीआई चैंपियंस ट्रॉफी में नहीं खेलता है तो भविष्य में वो 2 वर्ल्ड कप में भी नहीं खेल पाएगा. क्या कोहली और उनके साथी खिलाड़ी ऐसे फैसले का समर्थन करेंगे? जाहिर सी बात है कभी नहीं. कुल मिलाकर देखा जाए तो खुद को अहम बनाने या फिर अहम दिखाने की कोशिश में बीसीसीआई एक बार फिर से पूरी दुनिया के समाने भारतीय क्रिकेट की छवि को और खराब करने की ही जिद में अड़ी हुई है.