पुलिस बल की तैनाती के बाद काम पर लौटे

सुलतानपुर। जिला अस्पताल के इमरजेसी कक्ष में चिकित्सकों और तीमारदारों
में हुई मार-पीट के बाद सुरक्षा की मांग को लेकर स्वास्थ्यकर्मियों ने
ओपीडी, इमरजंेसी सेवाए ठप कर प्रदर्शन शुरू कर दिया। जिसकी भनक लगने पर
अधिकारियों के हाथ-पाव फूल गए। आनन-फानन में स्वास्थ्य विभाग के
अधिकारियों ने पुलिस प्रशासन से वार्ता की। जिसके बाद जिला अस्पताल में
सुरक्षाकर्मियों की तैनाती कर दी गयी। घंटो बाद स्वास्थ्यकर्मी काम पर
लौटे। इस दौरान मरीजों और तीमारदारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

मालूम हो की सोमवार को धम्मौर कस्बा निवासी विनोद कुमार का सात
वर्षीय पुत्र दीपक सर्पदंश का शिकार हो गया था। जिसे इलाज के लिए
परिवारीजन जिला अस्पताल लेकर आए। आरोप है कि चिकित्सकों ने इलाज में
लेट-लतीफी की जिसके चलते दीपक की मौत हो गयी। जिससे गुस्साए परिजनों ने
स्वास्थ्यकर्मियों की पिटाई कर दी थी। मामले में स्वास्थकर्मियो की ओर से
एक हमलावर के विरूद्ध नामजद तहरीर दी गयी थी। मंगलवार को पुलिस ने नामजद
आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। बावजूद इसके घटना से नाराज स्वास्थ्यकर्मी
जिला अस्पताल में सुरक्षा की दृष्टि से पुलिसबल की तैनाती की मांग को
लेकर प्रदर्शन पर उतारू हो गया। मंगलवार की सुबह स्वास्थयकर्मियों ने
ओपीडी, इमरजेंसी समेत अन्य सेवाए ठप कर प्रदर्शन शुरू कर दिया। जिसकी भनक
लगने पर प्रशासन के हाथ-पाव फूल गए। मौके पर पहुंचे सीएमओ डा.
रमेशचंद्रा, सीएमएस डा. जलालुदीन ने स्वास्थ्यकर्मियों को मनाने का
प्रयास किया, लेकिन बात नही बनी। बाद में सीएमओ ने स्वास्थ्यकर्मियों की
मांग को पुलिस और प्रशासन से अवगत कराया। जिसके बाद जिला अस्पताल में
सुरक्षा की दृष्टि से दो सिपाही व चार होमगार्ड जवानों की तैनाती की गयी।
जिसके बाद स्वास्थ्यकर्मियों का गुस्सा शांत हुआ। प्रदर्शन करने वालों
में फार्मासिस्ट एशोसिएशन के अध्यक्ष केके तिवारी, मेडिकल एशोसिएशन के
अध्यक्ष डा. बीके अग्रवाल, डा. एसएससी गुप्ता, डा. आरके मिश्रा, डा. दीपक
जायसवाल, डा. वीवी सिंह, डा. अमित सिंह, डा. अनुराग पांडेय, डा. रमेश,
डा. मनीष यादव, डा. दीनेश, फार्मासिस्ट विनय जायसवाल, शशिकांत मिश्रा,
ओपी पांडेय, पीके सिंह, विपेन्द्र बरनवाल, ओमप्रकाश गौड आदि मौजूद रहे।

थम नही रहा स्वास्थ्यकर्मियों की पिटाई का सिलसिला

जिला अस्पताल में आए दिन चिकित्सकों एवं स्वास्थ्यकर्मियों की पिटाई आम
हो गयी है। बीते दिनों फार्मासिस्ट शशिकांत मिश्रा की पिटाई में हाथ टूट
गया था। उसके कुछ ही दिनों बाद फार्मासिस्ट ओपी पांडये के ऊपर हमला हुआ।
जिसमें उन्हे भी गम्भीर चोटे आई। फिलहाल उस मामले में पुलिस ने तेजी
दिखाते हुए वाहन को कब्जे में लिया था। मार-पीट का मामला यही नही थमा
उसके कुछ ही दिनों बाद डा. इंद्रसेन गौतम, फार्मासिस्ट परिक्षित उपाध्याय
और डा. दीपक जायसवाल सहित फार्मासिस्ट संतोष बरनवाल के साथ भी मार-पीट की
घटना हुई। इन मामलों में पुलिस ने कोई ठोस कार्यवाही नही की जिससे आए दिन
स्वास्थ्यकर्मियों की पिटाई हो रही है। फार्मासिस्ट एशोसिएसन के अध्यक्ष
केके तिवारी का कहना है कि स्वास्थ्यकर्मी पूरी निष्ठा के साथ मरीजों का
इलाज करते है। बावजूद इसके किसी की मौत हो जाती है तो उसका ठीकरा
स्वास्थ्यकर्मियों पर फोड़ दिया जाता है। सुरक्षा की कोई व्यवस्था न होने
के चलते जो आया वही आंख तरेरा।