आल इंडिया उलेमा व मशाइख बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष हज़रत सय्यद अशरफ किछौछवी ने दरगाह अजमेर शरीफ में नाज़िम मंसूर अली खान के ज़रिये आदेश पारित कर कि 11 बजे रात के बाद कोई ज़ाएरीन दरगाह परिसर में नहीं रुक सकता और कोई दुआ, फातिहा खानी या कोई इबादत नहीं कर सकता कहकर निकाल देने पर सख्त नाराज़गी ज़ाहिर की है।

हज़रत ने कहा कि गरीब नवाज़ के मेहमानो से ऐसा सुलूक खुली दहशतगर्दी है और ऐसा कोई भी गरीब नवाज़ की तालीम पर अमल करने वाला नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि आल इंडिया उलेमा मशाइख बोर्ड पहले से ही भारत सरकार को आगाह करता आया है कि सूफियों की दरगाहों पर वक़्फ़ बोर्ड के ज़रिये कट्टरपंथी विचारधारा के लोग काबिज़ हो रहे हैं और इन मोहब्बत वाली बारगाहों में नफरत के घिनौने रंग घोलने की साजिश रच रहे हैं। नाज़िम के ज़रिये किया गया कृत्य भी वैसा ही है।

सूफियों की तालीम मोहब्बत है उनके दरों पर परेशान हाल लोग सुकून की तलाश में आते हैं उन्हें भगाया जाना खुला ज़ुल्म है और ज़ालिम का गरीब नवाज़ से कोई रिश्ता नहीं है, लिहाज़ा हम हुकूमते हिन्द से मांग करते हैं कि दरगाह नाज़िम के पद से फ़ौरन इन्हे हटाया जाये इसके लिए जो प्रक्रिया हो उसे सरकार अपनाये और इसके आलावा और भी दरगाहों पर जहाँ इस सोच के लोग काबिज़ हुए हैं उन्हें हटाया जाये ताकि कट्टरपंथी सोच फल-फूल न सके।

हज़रत किछौछवी ने कहा कि हम इस बात के लिए जल्द ही अल्पसंख्यक कल्याणमंत्री एवं प्रधानमंत्री से मुलाक़ात करेंगे। गरीब नवाज़ का सन्देश है "मोहब्बत सबके लिए नफरत किसी से नहीं "ऐसे में उनके दर से लोगों को भगाया जाना नाकाबिले बर्दाश्त है और यह असंवैधानिक भी है क्योंकि भारत में आप किसी को इबादत या अक़ीदत से नहीं रोक सकते।