नई दिल्ली: मणिपुर में एक महीने पहले गठित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत गठबंधन सरकार मुश्किल में है। वरिष्ठ मंत्री एल.जयंतकुमार ने अपने अधिकार क्षेत्र में मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह के ‘दखल’ को लेकर शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। मंत्री के पास स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ-साथ तीन अन्य विभागों का भी प्रभार था। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री उनके कार्यो में अनावश्यक हस्तक्षेप कर रहे हैं। इस बीच, सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री किसी भी राजनीतिक टकराव को टालने के लिए नई दिल्ली पहुंचे हैं, जहां पार्टी आलाकमान के साथ इस मुद्दे पर उनकी चर्चा संभव है। मंत्री ने शुक्रवार शाम को अपना इस्तीफा खुद मुख्यमंत्री को सौंपा। उल्लेखनीय है कि बीरेन सिंह के पास कार्मिक मंत्रालय भी है और इसी हैसियत से उन्होंने जयंतकुमार से बिना परामर्श लिए स्वास्थ्य निदेशक ओकराम इबोमचा को निलंबित कर दिया था।

इबोमचा के खिलाफ कोई खास आरोप नहीं हैं। निलंबन आदेश के मुताबिक, उनके खिलाफ ‘अनुशासनात्मक कार्रवाई’ की गई है। इबोमचा कांग्रेस की पिछली सरकार के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के नजदीकी रिश्तेदार हैं। जयंतकुमार नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के उन चार विधायकों में से एक हैं, जिन्होंने 15 मार्च को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में मंत्री पद की शपथ ली। इस्तीफा पत्र में कहा गया है कि उन्हें मंत्री बनाने के लिए वह मुख्यमंत्री के शुक्रगुजार हैं। लेकिन अपने काम में ‘दखलंदाजी’ के कारण वह अपने पद पर बने रहने में सक्षम नहीं हैं।

सूत्रों का कहना है कि एनपीपी के कुछ अन्य विधायक, जिन्हें मंत्री बनाया गया है, भी अपने विभाग को लेकर नाखुश हैं। उरीपोक से एनपीपी विधायक तथा पूर्व पुलिस महानिदेशक वाई.जॉयकुमार कथित तौर पर गृह मंत्रालय चाहते थे, जो उग्रवादग्रस्त मणिपुर में महत्वपूर्ण है। लेकिन बीरेन ने गृह विभाग अपने पास रखा है। जॉयकुमार राज्य के उपमुख्यमंत्री हैं।

गठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल ने 15 मार्च को शपथ ली थी। भाजपा, एनपीपी, नागा पीपुल्स फ्रंट, एलजेपी तथा कांग्रेस (पाला बदलने वाले) के नौ विधायकों का मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। 23 मार्च को तीन अन्य ने मंत्री पद तथा 12 अन्य ने संसदीय सचिव के रूप में शपथ ली।