नई दिल्ली: ट्रिपल तलाक पर चल रही बहस के बीच मुस्लिम धर्म गुरु और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक ने कहा है कि डेढ़ साल में खुद मुस्लिम लॉ बोर्ड इस प्रथा को ख़त्म कर देगा. कल्बे सादिक़ ने कहा कि एक साथ तीन बार तलाक़ बोलने वाली प्रथा महिलाओं के पक्ष में नहीं है, लेकिन यह एक समुदाय का निजी मसला है और वे ख़ुद एक-डेढ़ साल के भीतर इसे सुलझा लेंगे. सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.

इस बीच ट्रिपल तलाक़ पर योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी. सीएम योगी ने कैबिनेट की सभी महिला मंत्रियों से कहा है कि वो मुस्लिम महिलाओं और महिला संगठनों से मिलकर उनकी राय जानें जिसके आधार पर सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपनी राय रखेगी. विधानसभा चुनाव के दौरान ट्रिपल तलाक़ बीजेपी का बड़ा मुद्दा रहा था.

इससे पहले ट्रिपल तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लिखित जवाब दाखिल कर कहा था कि ट्रिपल तलाक के खिलाफ दाखिल याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. साथ ही कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ को संविधान के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत प्रोटेक्शन है. उसे मूल अधिकार के कसौटी पर नहीं आंका जा सकता. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि कोर्ट पर्सनल लॉ को दोबारा रिव्यू नहीं कर सकती उसे नहीं बदला जा सकता. कोर्ट पर्सनल लॉ में दखल नहीं दे सकती. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से कोर्ट के सामने रखे गए थे. कहा गया था कि क्या ये ट्रिपल तलाक आदि के खिलाफ दाखिल याचिका विचार योग्य है. क्या पर्सनल लॉ को मूल अधिकार की कसौटी पर टेस्ट हो सकता है. क्या कोर्ट धर्म और धार्मिक लेख की व्याख्या कर सकता है. मुस्लिम पर्सनल लॉ संविधान के अनुच्छेद-25, 26 व 29 में प्रोटेक्टेड है और क्या इसका व्याख्या या रिव्यू हो सकता है.